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विशेष :शिव भक्तो को जलभिषेक और उपासना के लिऐ मिलेंगे आठ सोमवार 59 दिन

 विशेष :शिव भक्तो को जलभिषेक और उपासना के लिऐ मिलेंगे आठ सोमवार 59 दिन

रिपोर्ट -अमित यादव मोनू

सहारनपुर-श्रावण महीना हिंदु धर्म मे एक विशेष महत्व रखता है विशेषकर शिव भक्तों के लिए तो मायने और भी खास हो जाते है। मान्यता अनुसार देवाधिदेव महादेव को श्रावण का महीने अति प्रिय है और श्रावण का महीना भोलेनाथ को समर्पित माना जाता है।जिस कारण श्रावण महीने में महादेव की  विशेष पूजा अर्चना की जाती है।शिव महापुराण के अनुसार  सावन माह में विशेषकर सोमवार को भगवान शिव की विधिपूर्वक व्रत पूजा करने वाले भक्तो की सारी मनोकामनाए पूर्ण होती है और उनके घर में सुख समृधि का वास होता है ।

इस बार बन रहा है दुर्लभ संयोग

इस बार सावन शिव भक्तों के लिए कई वर्षों बाद एक दुर्लभ और शुभ संयोग ले कर आ रहा है कारण इस बार श्रावण एक नही बल्कि दो महीने का होगा।सावन 4 जुलाई मंगलवार से प्रारंभ हो कर  31अगस्त बृहस्पतिवार तक चलेगा जिस वजह से शिव भक्तो को भगवान शिव की पूजा ,व्रत और उपासना करने के लिए 8 सोमवार और 59 दिन मिलेगे।उन्नीस वर्षो के अंतराल के बाद बन रहा ये विशेष संयोग इस वर्ष सावन मे अधिक मास के जुड जाने के कारण बन रहा है।जबकि आधिक मास की अवधि 18 जुलाई से आरंभ होकर 16 अगस्त तक की होगी।हिंदू पंचांग के अनुसार लगभग हर तीसरे साल एक अतिरिक्त माह जुड़ता है जिससे पुरषोत्तम, मलमास या अधिक मास कहा जाता है।


अति शुभ क्यूं है इस वर्ष का  श्रावण

दो महीने भगवान शिव के उपासको को व्रत पूजा करने के लिए आठ सोमवार मिलेंगे।वही अधिक मास मे भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है उनका नाम पुरषोतम होने के कारण इस मास का नाम पुरषोतम मास पड़ा भगवान विष्णु इस मास के अधिपति है ।जिस कारण इस श्रावण भगवान शिव की पूजा के साथ भगवान विष्णु की पूजा का भी सौभाग्य मिलेगा।

अधिक मास कब लगता है

सौर वर्ष और चन्द्र वर्ष के बीच जो मास संतुलन बनाता उसे अधिक मास कहते है ।सौर वर्ष 365 दिनो का होता है और चन्द्र वर्ष 354 दिनों का इस तरह सौर और चन्द्र वर्ष के बीच 10से अधिक दिनो का अंतर हो जाता है जो तीन वर्षो मे 30 दिनो से अधिक हो जाता है इस तरह चन्द्र वर्ष मे हर तीसरे साल ये दिन जोड दिये जाते हैं उस वर्ष ये 12 से 13 मास हो जाते हे इस बडे हुए मास को अधिक मास कहते हैं। अधिक मास के मास का निर्णय सूर्य संक्रांति के आधार पर किया जाता है जिस माह सूर्य सक्रांति नही होती वो मास अधिक मास कहलाता है

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