धीरे धीरे रफ्तार पड़कने लगा है सहारनपुर संसदीय सीट का चुनाव
भाजपा,बसपा और कांग्रेस समेत सभी उम्मीदवारों ने बढ़ाया जनसंपर्क अभियान
प्रत्याक्षी कार्यकर्ताओं संग टटोल रहे है मतदाताओं की नब्ज
रिपोर्ट-अमित मोनू यादव
सहारनपुर-आम चुनाव 2024 के लिए भाजपा,बसपा, और कांग्रेस समेत अन्य सभी दलों के उम्मीदवारों और निर्दलीय प्रत्याशियों के चुनाव अभियान में धीरे धीरे तेज़ी देखी जा रही है।सहारनपुर लोकसभा का चुनाव पहले चरण में 19 अप्रैल को होने जा रहा है। ऐसे चुनावो को लेकर सरगर्मी बढ़ने लगी है।प्रत्याक्षी सुबह से लेकर देर शाम तक कार्यकर्त्ताओ के साथ मिल कर मतदाताओं की नब्ज़ टटोल रहे।सहारनपुर लोकसभा सीट पर इस बार दस प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों में भाजपा के राघव लखनपाल, बसपा के माजिद अली और कांग्रेस के इमरान मसूद चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।
वही चिर प्रतिद्वंद्वी राघव लखन पाल शर्मा और इमरान मसूद के तीसरी बार मैदान में आमने सामने आने से मुकाबला दिलचस्प हो रहा है, वही बसपा के माजिद अली ने चुनावो को त्रिकोणीय बना रखा है। आपको बता दे कि 2014 के चुनावों में सहारनपुर के मतदाताओं ने बीजेपी के पक्ष में जमकर मतदान किया था जिसका नतीजा ये रहा कि इमरान मसूद को बीजेपी के राघव लखनपाल ने लगभग 65000 के करीब वोटों से शिकस्त दी. वही 2019 के चुनावी परिदृश्य से देखा जाए तो उस चुनाव में न तो इमरान मसूद को जीत मिली और न ही राघव लखनपाल अपना वर्चस्व बरकरार रख पाए। उन्हे बसपा और सपा के संयुक्त उम्मीदवार हाजी फजलूर रहमान ने दोनो को पटखनी देते हुए इस सीट पर काबिज हुए थे। हाजी फजलुर रहमान ने भाजपा के राघव लखन पाल शर्मा को दूसरे स्थान और इमरान मसूद को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। हालाकि बसपा ने अपने निवर्तमान सांसद का टिकट काट कर पूर्व जिला पंचायत के अध्यक्ष के प्रतिनिधि माजिद अली को मैदान में उतारा हुआ जो 2019 के समीकरणों के सहारे एक फिर मुकाबले को रोचक बनाए हुए है मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में ईद के बाद दिखेगी चुनावी हलचल में तेजी पवित्र माह रमजान के चलते मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में चुनावों में अपेक्षित तेजी देखना को नहीं मिल रही है।राजनीति के जानकार तनवीर खान का कहना है कि रमजान माह के कारण अभी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में चुनावी अभियान सुस्त पड़ा है। तनवीर खान ने आगे बताया कि रोजेदार अभी इबादत के साथ ईद की तैयारियों में मशगूल है।उन्होंने बताया कि ईद के बाद ही चुनाव के प्रचार में व्यापक तेजी देखने को मिलेगी।

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