शायर समाज के दर्द और हालात को शायरी में बयां करता है: आज़ाद अंसारी
जश्न-ए-सिकंदर हयात में उर्दू को बढ़ाने पर दिया गया जोर
शायरों नें कलाम पेश कर बांधा संमा
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-अर्बन को आपरटिव बैंक के चैयरमैन एम आज़ाद अंसारी ने कहा उर्दू अदब को जिदा रखना है तो उर्दू का प्रचार-प्रसार किया जाए। शायर समाज के दर्द और हालात को शायरी में बयां करता है। उन्होंने शायरों से दिलों को जोड़ने वाली शायरी करने पर जोर दिया।
सहारनपुर में मौका था प्रसिद् शायर सिकंदर हयात कैलाशपुरी के सम्मान में मुशायरे का। डॉ अंबेडकर मौलाना आज़ाद एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट व ऑल इंडिया उर्दू तालीमी बोर्ड शाखा सहारनपुर की ओर से बेहट रोड़ स्तिथ एक सभागार में हुए कार्यक्रम में शायरों नें अपने कलाम से समा बांध दिया और लोगों की खूब वाह वाही लूटी। जश्ने सिकंदर हयात मुशायरे की अध्यक्षता अर्बन को आपरटिव बैंक के चैयरमैन एम आज़ाद अंसारी ने की। वरिष्ठ समाजसेवी मल्का अख्तर ने फीता काट कर मुशायरा का शुभारम्भ किया। मुशायरा की शमा रोशन ज़िला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष माजिद अली ने की। मुशायरा का आगाज आसिफ शमसी ने नात-ए-पाक से किया। कार्यक्रम का संचालन खुर्रम सुल्तान ने किया। ज़ुल्फान अहमद, मुल चंद और अब्दुल वाजिद दानिश कमाल, रय्यान सिद्दीकी, इब्राहिम आज़ाद विशेष मेहमान रहे। सिकन्दर हयात की 60 -वर्षीय साहित्यिक सेवाओं को स्वीकार करते हुए सबने अपने विचार रखे। इस दौरान इंतेखाब आज़ाद वरिष्ठ समाजसेवी ने डॉ अंबेडकर मौलाना आज़ाद एजूकेशनल ट्रस्ट के कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर मुशायरा -संयोजक दानिश सिद्दीकी ने उर्दू भाषा के महत्व और उपयोगिता पर चर्चा करते हुए कहा की सहारनपुर की यह रिवायत रही है कि यहां पर बड़े मुशायरा व शेरी नशिस्त का आयोजन होता रहा है। जिसमें उभरते हुए शायरों को काफी कुछ सीखने को मिला है। शेरो शायरी के अदब को जिंदा रखने के लिए कुछ उस्ताद शायर लगातार कोशिशें जारी रखते हैं और जब कभी भी मौका मिलता है तो इस तरह के उर्दू के फ़रोग के लिए मुशायरे व नशिस्ते अन्य उर्दू संस्थाएं कराती आई हैं। मुशायरा में शायरों ने अपनी शायरी सुनाकर लोगो कों देर रात्रि तक वाहे वाही लूटी।अंत में सभी शायरों को उनकी उर्दू भाषा का प्रचार -प्रसार व सेवा देने पर संस्था द्वारा सम्मानित किया गया। इस दौरान दानिश कमाल,ताहिर अमीन, अदील ताबिश, असलम मोहसिन, मुस्तक़ीम रोशन, फ़राज़ अहमद, वली देवबन्दी, शरर अकमली, गुल मुहम्मद आदि शायरों ने एक से बढ़ कर एक कलाम पेश किये।
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