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शिव की प्राप्ति ही जीवन जीने का मूल उद्देश्य-स्वामी कालेंद्रानंद

शिव की प्राप्ति ही जीवन जीने का मूल उद्देश्य-स्वामी कालेंद्रानंद

 रिपोर्ट-अमान उल्ला खान

सहारनपुर-राधा विहार स्थित औघड़ दानी नर्मदेश्वर महादेव मंदिर में महादेव के 51 हजार रुद्राक्ष श्रृंगार अवसर पर स्वामी कालेन्द्रानन्द जी महाराज ने कहा रुद्राक्ष साक्षात शिव स्वरूप है महादेव के नेत्रों से बहे हुए अश्रु हैं।            श्री रामकृष्ण विवेकानंद संस्थान के तत्वधान में आयोजित श्रावण मास पूजा महोत्सव में अधिक श्रावण मास पंचम सोमवार को नर्मदेश्वर महादेव का 51 हजार रुद्राक्ष से भव्य एवं दिव्य श्रृंगार किया गया। शिवपुर महादेव का गंगा जल, दूध ,दही, घी, शहद, शक्कर ,पंचामृत एवं गुलाब जल से महा स्नान किया गया के उपरांत महादेव को 51 हजार रुद्राक्ष चढ़ाकर भव्य एवं दिव्य श्रृंगार रूप दिया गया इसके उपरांत रुद्री पाठ शिव महिमन स्त्रोत एवं शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत से नर्मदेश्वर महादेव का महा रुद्राभिषेक किया गया महादेव को दिव्य भोग अर्पण कर  नर्मदेश्वर महादेव की महा आरती उतारी गई।
रुद्राक्ष सिंगार की  महिमा का वर्णन करते हुए स्वामी कालेंद्रानंद  महाराज ने कहा कि रुद्राक्ष स्वामी शिव का ही साक्षात स्वरूप है शिव ने जब तांडव किया तब शिव के नेत्र से गिरे हुए अश्रु रुद्राक्ष कहलाते हैं प्रत्येक  रुद्राक्ष में जितने मुख होते हैं रुद्राक्ष में उतने ही मुखी शिव का वास होता है शिव साक्षात ब्रह्म अग्नि का स्वरूप है जो रुद्राक्ष में समाहित है रुद्राक्ष धारण करने से सभी रोगों एवं तापो से शांति मिलती है, उन्हें कहा मां सती ने जब रुद्राक्ष को स्पर्श किया तो उनकी दोनों बाहों पर भगवान शिव के त्रिपुंड उभर आए थे अर्थात जिसमें शिव तत्व एवं सत्य का भाव जितना अधिक होगा उसमें शिव तत्व अर्थात आत्म तत्व की जागृति उतनी शीघ्र हो जाएगी इसीलिए प्रत्येक जीव को शिव की शरणागति रहकर शिव रूपी रुद्राक्ष गले में धारण करना चाहिए रुद्राक्ष धारण करने से अनिद्रा बड़े स्वप्न आना कार्य में रुकावट आदि सभी बाधाओं का महादेव समन करते हैं। महाराजश्री ने कहा शिव की प्राप्ति ही जीवन जीने का मूल उद्देश्य है शिव की प्राप्ति के उपरांत जीव को परम मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी तापों एवं कर्म बंधन से मुक्त होकर शिव शिव भक्तों को प्राप्त कर मोक्ष का अधिकारी बना रहता है प्रत्येक जीव को शिव की शरणागति होकर अपने जीवन को शिव के चरणों में अर्पण कर देना चाहिए इसमें ही जीवन की सार्थकता है। अरुण स्वामी मेहर चंद जैन सुरेंद्र अग्रवाल राजेंद्र धीमान अश्विनी कंबोज रमेश शर्मा अजब सिंह चौहान मनोज चौहान दिनेश ठाकुर नरेश त्यागी विकास वर्मा सागर गुप्ता कमलेश बबली वर्षा सुचिता गीता उमा बिना अनीता आदि रहे

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