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योग हमें आत्मसंयम, अनुशासन, मानसिक स्पष्टता और आत्मिक शांति की ओर ले जाता है-डॉ शोभा त्रिपाठी

योग हमें आत्मसंयम, अनुशासन, मानसिक स्पष्टता और आत्मिक शांति की ओर ले जाता है-डॉ शोभा त्रिपाठी

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर -माननीय एडिशनल प्रो चांसलर श्री सैयद निजामुद्दीन के संरक्षण , कुलपति प्रोफेसर हृदय शंकर सिंह की प्रेरणा और कुलसचिव प्रोफेसर शिवानी तिवारी की अनुप्रेरणा से तथा कार्यक्रम अधिकारी प्रो. शोभा त्रिपाठी और डॉक्टर संजीव नांदल के संयोजन में राष्ट्रीय सेवा योजना की यूनिट 1 और यूनिट 2 द्वारा आज एक वेबीनार का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार इसका विषय "योग अनप्लग्ड – यूथ लेड योग फॉर वेलनेस” रखा गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर अमरजीत यादव तथा सह वक्ता के रूप में ग्लोकल आयुर्वेद कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ वैशाली भार्गव रही।

कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुए डॉक्टर शोभा त्रिपाठी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और बताया कि योग केवल आसनों की एक श्रृंखला नहीं है। यह एक जीवनशैली है, एक चिंतन प्रणाली है, जो हमें आत्मसंयम, अनुशासन, मानसिक स्पष्टता और आत्मिक शांति की ओर ले जाती है। योग का शाब्दिक अर्थ है—"जुड़ना", अर्थात आत्मा का परमात्मा से, मन का शरीर से, और व्यक्ति का प्रकृति से जुड़ाव। सहवक्ता ने अपने वक्तव्य में बताया कि  युवाओं की भागीदारी से कैसे योग एक जीवंत आंदोलन बन सकता है, एक ऐसा आंदोलन जो न केवल शरीर को स्वस्थ करता है, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा देता है। मुख्य वक्ता ने कहा कि आज की दुनिया मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया से इतनी जुड़ी हुई है कि हम अपने जीवन के महत्व को ही भूल गए हैं। योग हमें  स्वयं को जानने, तनावमुक्त रहने, और सशक्त जीवन जीने की राह दिखाता है। हमारा खानपान ही हमारी दैनिकचर्या को नियंत्रित करता है, अतः हमें खान-पान के लिए प्राकृतिक चीजों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि हमारी शारीरिक संरचना प्रकृति के बहुत निकट है। कुलसचिव प्रोफेसर शिवानी तिवारी ने कहा कि युवाओं के पास ऊर्जा, जोश,नवाचार की शक्ति और परिवर्तन लाने की क्षमता है योग के माध्यम से एक सकारात्मक विचार उत्पन्न होता है जो राष्ट्र निर्माण में सहायक होता है। कुलपति प्रोफेसर हृदय शंकर सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है इन पांचो तत्वों का सही संयोजन योग के माध्यम से होता है। योग के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को तनाव, प्रतिस्पर्धा, असुरक्षा और अवसाद जैसी समस्याओं से मुझे मिलती है और उसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है उसकी एकाग्रता बढ़ती है। इस अवसर पर स्वयंसेवक छात्रा सलोनी धीमान, जेसिका गुप्ता और ईशा अंबेडकर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समस्त कार्यक्रम का संचालन मिस फातिमा प्रवीन आकिल असिस्टेंट प्रोफेसर टेक्नोलॉजी विभाग ने किया। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवकों के साथ विश्वविद्यालय के सभी विभाग के प्रोफेसर ने भी ऑनलाइन सहभागिता की। अंत में डॉक्टर संजीव नांदल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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