सिविल कोर्ट में पोश एक्ट के विधिक प्रावधानों के सम्बन्ध में विधिक जागरूकता शिविर का किया आयोजन
रिपोर्ट-अमान उल्ला खान
शिविर में सचिव द्वारा पोश एक्ट के सम्बन्ध में बताया गया कि देश में वर्क प्लेस पर महिलाओं का यौन उत्पीडन रोकने के लिये 2013 में कानून बनाया गया है। इसे पोश एक्ट यानी प्रिवेशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट कहा जाता है। पोश अधिनियम 2013 में भारत सरकार द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं द्वारा सामना किये जाने वाले यौन उत्पीडन के मुददे को हल करने के लिये बनाया गया एक कानून है। अधिनियम का उददेश्य महिलाओं के लिये एक सुरक्षित और अनुकूल कार्य वातावरण बनाना तथा उन्हे यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है। इसके अतिरिक्त शिविर में सचिव द्वारा यह भी बताया गया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा महिला एवं जिस व्यक्ति की वार्षिक आय तीन लाख से कम है उसे निशुल्क विधिक सेवा प्रदान की जाती है। सचिव ने भी यह भी बताया कि दिनांक 09.03.2024 को जनपद सहारनपुर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सिविल, फौजदारी, राजस्व, मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद, वैवाहिक वाद, चालानी वाद एवं प्रिलिटिगेशन स्तर पर बैंक लोन, भारतीय दूर संचार निगम के टेलीफोन वाद, बिजली विभाग, नगर निगम एवं अन्य विभागों के भी प्रिलिटिगेशन वाद आपसी सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित कराये जायेगें। इस सम्बन्ध में यदि कोई पक्षकार अपना विवाद आपसी सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित कराना चाहता है तो वह सम्बन्धित न्यायालय में अपना प्रार्थनापत्र प्रस्तुत कर वाद निस्तारित करा सकता है। इसके अतिरिक्त कोई व्यक्ति कोई विधिक परामर्श लेना चाहता है तो वह नालसा की हैल्पलाईन 15100 पर काल कर सकता है। इस अवसर पर शिविर में लीगल ऐड डिफेन्स सिस्टम अधिवक्तागण, पैनल लॉयर मध्यस्थगण एवं पीएलवी एवं काफी संख्या मे अन्य व्यक्तियों ने प्रतिभाग किया।
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