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मुहर्रम का चांद दिखाई दिया, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की इमामबाड़ो में अज़ादारी शुरू

मुहर्रम का चांद दिखाई दिया, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की इमामबाड़ो में अज़ादारी शुरू

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर -मुहर्रम का चांद दिखाई दिया साल हिजरी 1447 आग़ाज़ मुहर्रम की एक तारिख 27 जून 2025 को इमामबाड़ो मे मुहर्रम की तैयारी पूरी हो चुकी है मातमी अन्जुमनो ने जुलूसे अलम निकालकर मुहर्रम का आग़ाज़ किया मजलिसो का सिलसिला शुरू।

मुहर्रम का महीना हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद दिलाता है हज़रत इमाम हुसैन ‘अलैहिस्सलाम’ रसूले खुदा  स0अ0व0स0 के नवासे थे जिन्होने करबला के मैदान मे इस्लाम धर्म को बचाने के लिए अपने छः माह के बच्चे से लेकर नौजवानो व 90 साल के बूढो की शहादत दी थी और खुद भी शहादत दी थी मुहर्रम का महीना इस्लामिक कलैन्डर के अनुसार पहला महीना होता है यह शहादत अब से 1386 साल पहले सन् 61 हिजरी के मुहर्रम के महीने मे दी गयी थी। शिया समुदाय मुहर्रम के महीने मे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का पैगाम दुनिया को सोग मना कर देते है। तथा मजलिसो व जुलूस के जरिये से हज़रत इमाम हुसैन ‘अलैहिस्सलाम’ का पैग़ाम लोगो तक पहुचाने एवं हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के बताये रास्ते पर चलने की हिदायत के साथ साथ आपसी भाई चारा इंसानियत कायम रखने की शिक्षा देता है। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने फरमाया था किःहज़रत इमाम हुसैन अलैहिससलाम ने आतंकवाद के खिलाफ कहा था कि (हर ज़माने मे ज़ालिम के दुश्मन बन कर रहो) करबला मे 72 साथियो को साथ लेकर यज़ीद के हज़ारो लश्कर से टकराकर  हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने यह शिक्षा दी है कि ज़ालिम कितना ही ताकतवर क्यो न हो तुम उससे डर कर चुप न बैठ जाना।मुहर्रम का चांद दिखाई देते ही शिया मुस्लिम  समुदाय ने हज़रत इमाम  हुसैन ‘अलैहिस्सलाम’ व करबला के 72 शहीदो की याद मे  इमामबाड़ो  मे अलम व ताज़िये सजाए हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम’ के सोगवारो का इमामबाड़ो मे आना जाना शुरू हो गया है अन्जुमने अलग अलग  मातमी जत्थो के साथ नौहा खानी व सीनाज़नी  करती हुई  अलम  के साथ अपने अपने दफतरो से इमाम बारगाहो मे पहुची। अन्जुमने  इमामिया ने अलम का जुलूस अन्जुमन के दफतर बडतला अन्सारियान से निकाला तथा दूसरा अलम अन्जुमने अकबरिया ने अन्जुमन के दफतर मौहल्ला ख्वाजा ज़ादगान से निकाल कर इमामबाड़ा अन्सारियान पहुचा, अन्जुमन ए सोगवारे अकबरिया ने अलम निकाला नौहा खानी व मातम करते हुए इमामबाड़ा अन्सारियान पहुचे।मुहर्रम की चॉंद रात में इमाम बारगाह सामानियान में मजलिस का आयोजन किया गया मजलिस में सब से पहले मरसिए खानी की गयी मरसिया खानी करने वालो में आसिफ अल्वी, हमज़ा ज़ैदी, सलीम आब्दी, आदि थे मजलिस को खिताब फरमाते हुए हुज्जत-उल इस्लाम आली जनाब मौलाना डाक्टर सैय्यद फतेह मुहम्मद ज़ैदी साहब ने बताया जब ईद का चांद नज़र आता है तो हम खुशियां मनाते है लेकिन जब मुहर्रम का चांद नज़र आता है तो हमे दर्दाे ग़म का अहसास होता है और करबला का वह मंज़र हमारे सामने आ जाता है जिसमे हुजूरे अकरम स0अ0व0स0 के छोटे नवासे हज़रत इमाम हुसैन अलै0 की कुरबानी व इस्लाम की बक़ा के लिए जो काम हज़रत इमाम हुसैन अलै0  कर गये उन्हे कयामत तक इंसानियत भुला नही पायेगी आज हमारी ज़रूरत है कि हज़रत इमाम हुसैन अलै0 के बताये हुए रास्ते पर चलने की मौलाना ने फरमाया की रसूले खुदा ने जिस प्रकार से पंजेतन पाक को इल्म दिया और पंजेतन पाक ने उस इल्म को दुनिया मे फैलाने का काम क्या है उसी की बिना पर आज पूरी दुनिया मे इस्लाम का परचम बुलन्द है उसी इल्म की एक कडी करबला मे नज़र आती है।


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