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जामिया रहमत,(अरबिक कॉलेज) घघरौली में माहाना रूहानी और इस्लाही मजलिस का आयोजन

जामिया रहमत,(अरबिक कॉलेज) घघरौली में माहाना रूहानी और इस्लाही मजलिस का आयोजन

 नज़र और ज़ुबान की हिफाज़त, सूदी निज़ाम से बचाव, और अल्लाह के ज़िक्र की फज़ीलत पर ज़ोर

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर-जामिया रहमत (अरबिक कॉलेज) घघरौली में मुगीसी ख़ानकाह के तत्वाधान हर महीने की तरह एक रूहानी और इस्लाही मजलिस कामयाबी के साथ आयोजित हुई। जिसकी की अध्यक्षता आशिक-ए-मिल्लत, खलीफा-ए-मुफक्किर-ए-इस्लाम हज़रत मौलाना हकीम मुहम्मद अब्दुल्ला मुगीसी खलीफा मौलाना सैयद अबुल हसन अली मियां नदवी ने की।

मौलाना हकीम मुहम्मद अब्दुल्ला मोग़ीसी ने अपने बयान में अल्लाह के ज़िक्र की अहमियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि पूरी कायनात अल्लाह का ज़िक्र कर रही है। अगर सूरज और चाँद भी ज़िक्र छोड़ दें तो उनकी रौशनी खत्म हो जाएगी। क़यामत के दिन अल्लाह यह सवाल करेगा कि “क्या तुमने मेरा ज़िक्र किया?” उन्होंने ज़िक्र को सिर्फ ज़ुबान से नहीं बल्कि मदद, भलाई और अच्छे कामों में भी शामिल बताया और हर मोमिन को हर वक़्त अल्लाह को याद रखने की ताकीद की।मुफ़्ती मुहम्मद अमजद (खलीफा-ए-मौलाना हकीम अख्तर रह.) ने अपने बयान में नज़र और ज़ुबान की हिफाज़त, निकाह में सादगी और सूद से बचने की अहमियत बताई। उन्होंने कहा कि समाज में फैले बुराई के इलाज के लिए इन बातों पर अमल ज़रूरी है।मुफ्ती मुहम्मद इमरान (प्रबंधक जामिया अहमदुल उलूम, खानपुर) ने गरीबों और कमज़ोरों के साथ रहमदिली की तालीम दी और नबी करीम ﷺ और सहाबा किराम की मिसालें पेश कीं।मुफ्ती मुहम्मद साबिर क़ासमी नक़्शबंदी (शैखुल हदीस, जामिया अहमदुल उलूम) ने माल और जमाल को फितना बताते हुए उनसे दूर रहने और ईमान को मजबूत करने की सलाह दी।
मौलाना अब्दुल खालिक मुगीसी ने दिल में अल्लाह की मुहब्बत पैदा करने, बुरी नज़र से बचने और सूदी लेन-देन से दूर रहने की नसीहत की।डॉ. मौलाना अब्दुल मालिक मुगीसी ने मजलिस का पूरा प्रोग्राम तैयार किया। उन्होंने इस महफिल के मकसद पर रोशनी डालते हुए कहा कि इस तरह की रूहानी मजलिसों में शिरकत करना हर मोमिन की ज़रूरत है। इसी दौरान उन्होंने अल्लाह के ज़िक्र पर मबनी कुछ खूबसूरत अशआर भी पेश किए।बैठक के दौरान दो निकाह भी अंजाम दिए गए ,मौलाना दिल नवाज़ क़ासमी पुत्र मुहम्मद रिहान (देहरादून) क़ारी मुहम्मद जुनैद पुत्र मुहम्मद इस्लाम (चेनपुरा) के  निकाह पढ़ाई गए।मजलिस के आखिर में सब ने मिलकर कुछ लम्हों तक सुकून और तवाज्जो के साथ अल्लाह का ज़िक्र किया। इसके बाद मौलाना अब्दुल्ला मोग़ीसी की दुआ पर यह रूहानी महफिल खत्म हुई। इस दुआ में पूरी उम्मत की भलाई, हिदायत, बरकत और कामयाबी के लिए खास दुआएं की गईं। मजलिस में आसपास के इलाकों से सैकड़ों लोग शरीक हुए।शिरकत करने वालों में: शाह अतीक अहमद (खानकाह रायपुर), मौलाना आरिफ रशीदी, मौलाना वासिफ रशीदी, मौलाना मुशर्रफ रशीदी, मौलाना मुस्तकीम क़ासमी, मौलाना वसीम, क़ारी मुनव्वर क़ासमी, मौलाना अशफ़ाक़, मौलाना राशिद, डॉ. वासिल, क़ारी सहरयाब, क़ारी जाबिर, मौलाना अल्ताफ़, सूफी साजिद, मौलाना बिलाल, मौलाना असजद, क़ारी अज़म, क़ारी आरिफ़ ज़हूरी, मौलाना असअद वग़ैरह शामिल रहे।आख़िर में ऐलान किया गया कि अगली माहाना मजलिस, इंशा अल्लाह, 7 जुलाई 2025, दिन सोमवार को हज़रत की सरपरस्ती में होगी

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