मज़हब ए इस्लाम हमें तहज़ीब, सलीका व पर्दे का पैग़ाम देता है, ना कि बेमायनी शोर शराबे, भीड़ की बेहिसी-मौलाना मुनव्वर हुसैन
रिपोर्ट नदीम निजामी
नकुड़-नगर के मदरसा इस्लामिया रशीदिया जामा मस्जिद के प्रबंधक मौलाना मुनव्वर हुसैन ने समाज में तेजी से पनप रही गैर इस्लामी रिवायतों पर गंभीर चिंता जताई है। अखाड़ा, खेल तमाशे को उन्होंने शरीअत के खिलाफ बताया। उन्होंने साफ लफ़्ज़ों में कहा कि अखाड़ा देखना और उसमें शरीक होना इस्लामी तहज़ीब से सरासर टकराव है।
मौलाना हुसैन ने कहा कि शरीअत की रौशनी में ऐसे तमाशे और खेल, जिनमें बेपरदगी हो, या औरतों-मर्दों का खुला मेल-जोल हो ये सब गुनाह की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने कहा कि मज़हब ए इस्लाम हमें तहज़ीब, सलीका व पर्दे का पैग़ाम देता है, ना कि बेमायनी शोर शराबे, भीड़ की बेहिसी। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा कि बहुत सी महिलाएं छतों पर चढ़कर अखाड़े देखती हैं। जो शरीअत और पर्दे के खिलाफ है। उन्होंने अपील की कि मुस्लिम महिलाएं अपने घरों की हिफाज़त और इस्लामी हदों की पाबंदी करें। इतना ही नहीं ऐसे आयोजनों से खुद को अलग रखें जो इस्लामी उसूलों से मेल नहीं खाते। गौरतलब है कि मौलाना का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब योमे आशूरा नज़दीक है। एक ऐसा दिन जो कर्बला की कुर्बानी और इस्लामी जज़्बे की नसीहत लिए होता है। ऐसे में मौलाना का यह पैग़ाम न सिर्फ़ एक धार्मिक हिदायत है, बल्कि समाज को तहज़ीब और मर्यादा के दायरे में रहने की सख़्त तजवीज़ भी है।
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