Ticker

6/recent/ticker-posts

अगर लगन से सीखा जाये तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं-गौरी बनर्जी

अगर लगन से सीखा जाये तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं-गौरी बनर्जी

रिपोर्ट-अमान उल्ला खान

सहारनपुर- "स्पर्श कार्यशाला " मे आज बच्चो ने परंपरागत वाद्य "सारंगी " का प्रथम स्पर्श किया। कार्यक्रम के प्रारंभ के एल जी की प्रधंनाचार्या बबिता मालिक ने गुलदस्ता भेट कर  सारंगी वादक गौरी बैनर्जी का स्वागत किया।

गौरी बनर्जी ने सारंगी के इतिहास के बारे मे बताते हुए कहा कि सारंगी के प्रारंभिक जनक शिव उपासक माने गए है। रावण भगवान् शिव को प्रसन्न करने के लिए एक  वृक्ष के नीचे बैठ कर तपस्या कर रहे थे, उस वृक्ष पर लटके एक चमगादड़ की त्वचा पर हवा के चलने से एक आवाज़ निकल रही थी जिसे सुनकर विद्वान रावण ने सारंगी के प्रारंभिक रूप का निर्माण किया जिसे रावणहत्था के नाम से जाना गया और आज भी राजस्थानी लोक गायन मे उसका प्रयोग किया जाता है। गौरी जी ने बच्चो को मारू बिहाग सुनाकर सारंगी का परिचय देते हुए सारंगी के 4 मुख्य तारो एवम 36 तरफ की तारो की जानकारी देते हुए सारंगी के स्वरूप की जानकारी दी। उन्होंने प्रथम दिन सीधे हाथ के चलन मे सारंगी के गज को चलाना सिखाया। उसके बाद सा रे एवम ग स्वर को बजाना सिखाया। गौरी बनर्जी आकश्वाणी की  प्रसिद्ध ए ग्रेड सारंगी कलाकार  होने के साथ साथ एक कुशल चार्टेड एकाउंटेंट भी है। उन्होंने सारंगी की शिक्षा अपनी माता एवम उस्ताद साबिर खान से प्राप्त की उन्होंने देश विदेश मे कई प्रस्तुतियां दी है।   बच्चो को सारंगी को सरलता से सिखाते हुए कहा कि अगर लगन से सीखा जाये तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है। समन्वयक शैफाली मल्होत्रा ने बताया की सारंगी सुनते ही बच्चो मे उसे छूने और बजाने की होड लग गयी इसलिए इस कार्यशाला का नाम "स्पर्श"  सार्थक होता नज़र आ रहा है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

350 वें शहीदी पर प्रभात फेरी निकालकर किया गुरू तेग बहादुर जी व शिष्यों की शहादत को नमन