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नौतपा मे सावन की तरह बरसे बद्रा,नही तपी धरती

 नौतपा मे सावन की तरह बरसे बद्रा,नही तपी धरती

पच्चीस मई से शुरू हुआ नौतपा दो जून तक चला

रिपोर्ट -अमित यादव मोनू

सहारनपुर-सूर्य के पन्द्रह दिन के लिए रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने पर शुरुवात के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते इन्ही शुरूवाती नौ दिनो को नौतपा के नाम से जाना जाता है।


नौतपा इस साल पच्चीस मई से शुरू हो कर दो जून तक चला इस दौरान सूर्य ,मंगल,बुध का शानि से समसप्तक योग होने से धरती के तापमान मे इजाफा होता है और भीषण गर्मी पडती है ।  नौतपा की तपन अच्छी बारिशों का कारक भी माना जाता है मगर  इस नौतपा बीतने को है  बावजूद इसके  ना तो सूरज मे वो धधक दिखायी दी तो धरती को धधकता दे  ना ही तापमान मे वो वृद्धि नही हो पायी जिस कारण  नौतपा प्रख्यात है।कया कहता ज्योतिष विज्ञान ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं जो शीतलता का कारक होते है लेकिन नौतपा मे वो सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही सूर्य के प्रभाव में आ जाते है जिस कारण चन्द्रमाा का शीतल प्रभाव क्षीण हो जाता है और और तापमान में वृद्धि होनी शुरू हो जाती है ज्योतिषी के मान्यतानुसार यादि नौतपा के सभी दिन पूरे तपते है तो यह अच्छी बारिश के संकेत माने जाते है। कया कहता है विज्ञान  वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी नौतपा का महत्व मान्य है। वैज्ञानिक  मतानुसार नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर पडती है जिस कारण तापमान बढ़ता है और अधिक गर्मी के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित होता है चूंकि समुद्र मे उच्च दबाव के क्षेत्र  होता जिस कारण हवाओं का रुख मैदानी क्षेत्रों की ओर आकर्षित होता है जोकि अच्छी बारिशों का संकेत देता है ।कया है पौराणिक महत्व मान्यता अनुसार नौतपा का महत्व पुराणों में भी  पाया जाता है जयोतिष के सूर्य सिद्धान्त और श्रीमद भागवत मे भी नौतपा का वर्णन आता है ! ग़ौरतलब है कि  इस बार पश्चिमी विक्षोम के कारण अभी तक ऐसा योग देखने को नही मिला और रोहिणी के तेवर से ना तो धरती तपी ना ही पारा 44 डिग्री तक आ पाया वही सूर्य की तपिश को पश्चिमी विक्षोम ने शांत किया हुआ तो दूसरी तरफ आंधी बारिश के चलते  अधिकतम और न्युनतम तापमान सामान्य से नीचे चल रहे है ।बताते चले कि मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष भी मानसून के सामन्य रहने की संभावना प्रबल  बताई जा रही है जो कि भारतीय अर्थ व्यवस्था के लिए एक शुभ संकेत है ।

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