मातमी अन्जुमनो ने जुलूसे अलम निकालकर मोहर्रम का आग़ाज़ किया
रिपोर्ट-अमान उल्ला खान
सहारनपुर- मोहर्रम का चांद दिखाई दिया साल हिजरी 1445 शुरू मोहर्रम की एक तारिख 20 जुलाई 2023 को इमाम बारगाहो मे मोहर्रम की तैयारी पूरी हो चुकी है मातमी अन्जुमनो ने जुलूसे अलम निकालकर मोहर्रम का आग़ाज़ किया मजलिसो का सिलसिला शुरू।
मोहर्रम का महीना हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद दिलाता है हज़रत इमाम हुसैन ‘अलैहिस्सलाम’ रसूले खुदा स0अ0व0स0 के नवासे थे जिन्होने करबला के मैदान मे इस्लाम धर्म को बचाने के लिए अपने छः माह के बच्चे से लेकर नौजवानो व 90 साल के बूढो की शहादत दी थी और खुद भी शहादत दी थी मोहर्रम का महीना इस्लामिक कलैन्डर के अनुसार पहला महीना होता है यह शहादत अब से 1384 साल पहले सन् 61 हिजरी के मोहर्रम के महीने मे दी गयी थी। शिया समुदाय मोहर्रम के महीने मे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का पैगाम दुनिया को सोग मना कर देते है। तथा मजलिसो व जुलूस के जरिये से हज़रत इमाम हुसैन ‘अलैहिस्सलाम’ का पैग़ाम लोगो तक पहुचाने एवं हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम’के बताये रास्ते पर चलने की हिदायत के साथ साथ आपसी भाई चारा इंसानियत कायम/बनाये रखने की शिक्षा देता है। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने फरमाया था किः-हज़रत इमाम हुसैन अलैहिससलाम ने आतंकवाद के खिलाफ कहा था कि (हर ज़माने मे ज़ालिम के दुश्मन बन कर रहो) करबला मे 72 साथियो को साथ लेकर यज़ीद के हज़ारो लश्कर से टकराकर हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने यह शिक्षा दी है कि ज़ालिम कितना ही ताकतवर क्यो न हो तुम उससे डर कर चुप न बैठ जाना।मोहर्रम का चांद दिखाई देते ही शिया मुस्लिम समुदाय ने हज़रत इमाम हुसैन ‘अलैहिस्सलाम’ व करबला के 72 शहीदो की याद मे इमाम बारगाहो मे अलम व ताजि़ये सजाए हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम’ के सोगवारो का इमाम बारगाहो मे आना जाना शुरू हो गया है अन्जुमने अलग अलग मातमी जत्थो के साथ नौहा खानी व सीनाज़नी करती हुई अलम के साथ अपने अपने दफतरो से इमाम बारगाहो मे पहुची। अन्जुमने इमामिया, अन्जुमने अकबरिया व अन्जुमन ए सोगवारे अकबरिया ने मातमी जुलूस के साथ अलम निकाले। अन्जुमनो ने नौहा खानी व सीनाज़नी करते हुए इमाम बारगाह अन्सारियान पहुचे। वही मौहल्ला मीरकोट मे डॉक्टर असजे रज़ा काज़मी के यहाँ से शबीह ज़ुलजनाह हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम निकाली गयीमौहर्रम की चाॅंद रात में इमाम बारगाह सामानियान में मजलिस का आयोजन किया गया मजलिस में सब से पहले मरसिए खानी की गयी मरसिया खानी करने वालो में डाक्टर अली अथर जैदी, आसिफ अल्वी, सलीम आब्दी, हमजा जैदी, आदि थे मजलिस को खिताब फरमाते हुए आली जनाब मौलाना औन मुहम्मद साहब ने बताया जब ईद का चांद नज़र आता है तो हम खुशियां मनाते है लेकिन जब मोहर्रम का चांद नज़र आता है तो हमे दर्दाे ग़म का अहसास होता है और करबला का वह मंज़र हमारे सामने आ जाता है जिसमे हुजूरे अकरम स0अ0व0स0 के छोटे नवासे हज़रत इमाम हुसैन अलै0 की कुरबानी व इस्लाम की बक़ा के लिए जो काम हज़रत इमाम हुसैन अलै0 कर गये उन्हे कयामत तक इंसानियत भुला नही पायेगी आज हमारी ज़रूरत है कि हज़रत इमाम हुसैन अलै0 के बताये हुए रास्ते पर चलने की मौलाना ने फरमाया की रसूले खुदा ने जिस प्रकार से पंजेतन पाक को इल्म दिया और पंजेतन पाक ने उस इल्म को दुनिया मे फैलाने का काम क्या है उसी की बिना पर आज पूरी दुनिया मे इस्लाम का परचम बुलन्द है उसी इल्म की एक कडी करबला मे नज़र आती है।आज से इमाम बारगाहो मे मजालिस और मातमी जुलूसो का सिलसिला शुरू हो गया है।
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