हज़रत मौलाना अहमद मुर्तज़ा साहब का जाना अदबी और तालीमी ऐतबार से बड़ा नुकसान-डॉ ज़फ़र सादिक़
रिपोर्ट -डॉ0 ताहिर मलिक
ईदगाह रोड स्थित जन्नतनशीं हज़रत हाजी आशिक़ इलाही के मदरसा असदिया जदीद में ताज़ियती बैठक में मदरसा मज़ाहिर उलूम के अरबी के उस्ताद हज़रत मौलाना अहमद मुर्तज़ा के इंतेक़ाल पर ग़म का इज़हार किया गया और दुआए मग़फ़िरत की गई।हाफ़िज़ मोनिस काशिफी ने आयत ए कलामुल्लाह से आग़ाज़ किया।मौलाना अहमद मुर्तज़ा के ख़लीफ़ा डॉ ज़फ़र सादिक़ ने कहा कि मौलाना अहमद मुर्तज़ा का जाना अदबी और तालीमी ऐतबार से बड़ा नुकसान है।मौलाना अहमद मुर्तज़ा साहब बहुत बड़े आलिम थे जो ताउम्र इल्म की रोशनी फैलाते रहे।उन्होंने नशा,दहेज,दिखावे जैसी बुराइयों से दूर रहने की सीख दी जिससे बहुत लोग फ़ैज़याब हुए। हकीम नासिक नजमी ने कहा कि मौलाना अहमद मुर्तज़ा साहब ने 1969 में झारखंड से आकर मज़ाहिर उलूम सहारनपुर आए थे जो बाद में यहीं अरबी पढ़ाना शुरू किया।उनके इल्म,सादगी और अपनेपन की वजह से लोग उनसे बहुत मुतास्सिर होते थे।बड़ी तादाद में उनके शागिर्द इल्म की रोशनी फैला रहे हैं।हज़रत मौलाना आसिफ़ नदवी साहब ने कहा कि मौलाना अहमद मुर्तज़ा साहब यकजहती और तालीम पर बहुत ज़ोर देते थे।वह हमेशा पूरी दुनिया के भले के लिए सोचते और दुआ करते थे।उन्होंने कहा कि आज हज़रत हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी दी हुई तालीम हमारी रहनुमाई करती रहेगी।इस दौरान हाफ़िज़ इनाम,कारी शावेज़,मौलाना क़मर, हाजी मोहम्मद अय्यूब,हाजी नसीर,हाजी इकराम, हाजी अब्दुल हमीद, हाफ़िज़ शादाब,डॉ तारिक़ मलिक,इस्तखार मलिक,ख़ुर्शीद अहमद आदि मौजूद रहे।

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