वेद,प्राच्य विद्या और संत सम्मेलन का हुआ भव्य समापन
“दिव्य शक्ति अखाड़ा” के आचार्य महामंडलेश्वर संत कमल किशोर ने नैतिक मूल्यों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जीवन मे नैतिकता का ह्रास ही भ्रष्टाचार,रिश्वतख़ोरी,घटती आयु,रोगी जीवन,तथा कुप्रथा का मूल कारण है।नैतिकता वाला व्यक्ति कभी किसी को दुख नहीं दे सकता, भ्रष्ट आचरण नहीं कर सकता। जीवन में नैतिकता के संस्कार केवल गुरुकुल मे वेद-शास्त्रों,गीता,और रामायण की शिक्षा से ही आ सकते हैं औए एक समृद्ध भारत का निर्माण हो सकता है। ज्ञान चर्चा में आचार्य जगदीश वेदी, महामंडलेश्वर सुरेन्द्र शर्मा, महामंडलेश्वर अरविंदर शास्त्री,राष्ट्रीय पंचांग कर्ता सुरेश गौड़,आचार्य सुखविंदर सिंह, महामंडलेश्वर राम शंकर तिवारी,आचार्य धीर शांत दास, करनैल सिंह कमल, महामंडलेश्वर अनिल कोदंड श्याम सखा, इंद्रप्रीत सिंह खुराना,आचार्य सुनील त्रिपाठी ,उत्तराखंड के पूर्व मंत्री नंदकिशोर पुरोहित, युधिष्ठिर पांडे, ब्रह्मचारी पूनम उज्जवल और सुषमा शर्मा ने भी भाग लिया। विद्वानों में, राजीव कुमार बंसल, रूद्र निगम, महाकाल अघोर, श्री जय नारायण, राधेश्याम सोनी कृष्ण मुरारी योगी, धनंजय पारधी,आचार्य गौरव, कर्नल एन के सोनी, महेश गुप्ता, अनुज पाल हरिप्रसाद गौड़, नरेंद्र नागदा, प्रकाश पोखरणा,सूर्य प्रकाश, श्रीमती मोनिका वालिया श्री संजीव वालिया। आचार्य विजय पाल, आचार्य रवि शर्मा,ज्योतिषाचार्य अर्चना कपूर, नेहा इलाहाबादी, पूजा राजपूत, संजय राजपूत,ऋतु करोल सूद, रेखा बांका, महर्षि भारत भूषण जी, पंडित प्रेमानंद शास्त्री, श्री प्रशांत चतुर्वेदी, धर्मेंद्र बंसल, प्रकाश गौड़ पंडित सतीश शर्मा,श्रीमती सुधा शर्मा, श्री अनुज पाल जी, डॉ पी आर हलदर ,रक्त मित्र शैलू मंडलोई, विनायक पुलह,पंडित रामदयाल पांडे, पूनम मिश्रा,पंडित माधव कृष्ण शास्त्री की उपस्थितिउल्लेखनीय रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता के संरक्षक बाबा निरंजन नाथ अवधूत ने की व सुघड़ संचालन अशोक जी ने किया।
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