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हमारा संविधान केवल कानून का एक संग्रह नहीं है यह भारत की आत्मा का प्रतिबिंब है-डॉ कुदसिया अंजुम

हमारा संविधान केवल कानून का एक संग्रह नहीं है यह भारत की आत्मा का प्रतिबिंब है-डॉ कुदसिया अंजुम 

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर-जागरूक महिला संस्था परचम द्वारा रॉक वुड पब्लिक स्कूल में 76 वे संविधान  दिवस के अवसर पर आओ संविधान को जाने विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया 

गोष्ठी को संबोधित करते हुए सरदार दलजीत सिंह कोचर  ने कहा कि 26 नवंबर को संविधान दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकृत किया गया था डॉ भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।इस वर्ष समारोह का विषय हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान है। बाजोरिया इंटर कालेज से पवन राणा ने कहा कि देश का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा को 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। कार्यक्रम संयोजिका डॉक्टर कुद सिया अंजुम ने कहा कि हमारा संविधान केवल कानून का एक संग्रह नहीं है यह भारत की आत्मा का प्रतिबिंब है यह हमें अधिकार के साथ कर्तव्य की भी याद दिलाता है इसने हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी दी हैं ।भारत के संविधान निर्माता कहे जाने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने इस संविधान को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उन्हें यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि हमें एक ऐसा संविधान मिले जो सभी नागरिकों को समानता स्वतंत्रता और न्याय प्रदान कर सके । अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर शाहिद ज़ुबैरी ने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है और इसमें 448  अनुच्छेद 12 अनुसूचियां और 22 भागों के साथ तैयार किया गया है हमारा संविधान भारत को एक लोकतांत्रिक देश घोषित करता है यह सभी नागरिकों को धर्म ,जाति ,लिंग और क्षेत्र के आधार पर समान अधिकार प्रदान करता है संविधान की प्रस्तावना संविधान की आत्मा है हम भारत के लोग यह शब्द एहसास कराता है कि भारत की ताकत इसकी विविधता में है आज का दिन हमें अपने संविधान की महानता और इसकी रक्षा के प्रति हमारी जिम्मेदारी समझने का स्मरण कर आता है इसके अतिरिक्त साजदा ,अनीस अहमद  आदि ने भी विचार व्यक्त किए सीमा जहूर ने कार्यक्रम का संचालन किया। अंत में  बुशरा ने छात्र छात्राओं को संविधान की प्रस्तावना शपथ हम भारत के लोग दिलाई गई ।कार्यक्रम में स्टाफ तथा छात्र छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया ।

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हमारा संविधान केवल कानून का एक संग्रह नहीं है यह भारत की आत्मा का प्रतिबिंब है-डॉ कुदसिया अंजुम