आपातकाल दिवस के अवसर पर जनपद में मनाई गयी 50वीं बरसी
लोकतंत्र सेनानियों और अधिकारियों ने देखी प्रदर्शनी
माननीय प्रधानमंत्री जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत को लोकतंत्र की जननी कहा था
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-कलेक्ट्रेट नवीन सभागार में आपातकाल से जुडी त्रासदी एवं विपत्तियों की 50वीं बरसी को मनाते हुए एक चित्र प्रदर्शनी को प्रदर्शित किया गया। इसमें भारत में प्राचीन काल से चली आ रही लोकतंत्र की जडें, लोकतांत्रिक परंपराओं के मूल में बसे जन-केंद्रित दृष्टिकोण एवं जन-भागीदारी के तहत अर्थशास्त्र में उल्लेखित सिद्धांतों तथा अशोक के शिलालेखों में जनहित संबंधी शासन को बताया गया। कार्यक्रम में लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों श्री राजेंद्र अटल, श्री अशोक कुमार, डॉ0 आज़ाद चौधरी, श्री प्रेम सिंह भंडारी, श्री बलदेव राज, श्रीमती शमीम बानो, मुहम्मद यूसुफ, श्री शीतल टंडन, मो0 जमाल गौरी, श्री सुभाष त्यागी, श्री शौकत अली, श्री रमेश चन्द्र, श्री कासिम अहमद को माला व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में आपातकाल के संबंध में विचार गोष्ठी में लोकतंत्र सेनानियों ने अपनी जुबानी में आपातकाल की कहानी बताई जिसमें वह अपने उस समय को याद कर भावुक हो गए । उन्होंने कहा कि हम लोग लोकतंत्र की रक्षा के लिए सदैव तात्पर्य रहते है।ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के तहत जन भागीदारी को लोकतंत्र की आधारशिला के रूप में उल्लेखित किया गया। इसके साथ ही स्थानीय शासन को बढावा देकर लोकतंत्र की नींव को मजबूत किया गया। भारतीयों ने अंग्रेजों पर सुधारों और अधिनियम 1909, 1919 और 1935 में भागीदारी की मांगों को शामिल करने का दबाव डाला।भारत के संविधान द्वारा 1949 के कुछ अंशो को लागू किया गया। स्वतंत्र भारत एवं संसदीय प्रणाली को लागू करने के लिए 1975 तक 05 आमचुनाव आयोजित किए गये। इसी के तहत लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए क्षेत्रीय एवं विपक्षी दलों का उदय हुआ। मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई। आपातकाल से ठीक पहले व्यापक आर्थिक संकट आया। भ्रष्टाचार के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन हुआ। सम्पूर्ण क्रांति का आवाहन जेपी जी द्वारा किया गया। आज ही के दिन 1975 में दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल रैली आयोजित की गयी एवं जयप्रकाश नारायण जी द्वारा सैना और पुलिस से सरकार के अवैध आदेशों का पालन न करने के लिए कहा गया। 25 जून 1975 को देर रात संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की गयी। इस आपातकाल में मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। आंतरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई की गयी। प्रमुख समाचार पत्रों की बिजली आपूर्ति काट दी गई। इस समय न्यायालय की प्रक्रिया बाधित रही। 42वें संविधान संशोधन के तहत संसद का कार्यकाल बढाकर 06 वर्ष कर दिया गया। संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोडे गये। इस दौरान जन आंदोलन हुए। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी बैंगलोर की जेल में बंद रहे। पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर एवं उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी एवं जॉर्ज फर्नांडिस जी गिरफ्तार हुए। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी उस समय एक युवा कार्यकर्ता थे जिन्होनें इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होनें बैठकें आयोजित की, लेख लिखे एवं कई तरह के वेश धारण किए। इस दौरान रचनात्मकता पर रोक लगी। आंदोलन के दौरान लोगों के भूमिगत होने तथा विरोध करना दिखाई दिया। 21 मार्च 1977 को आपातकाल वापस ले लिया गया इसके तुरंत बाद सरकार बदल गई। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाना यह याद दिलाता है कि भारत के संविधान को रौंदा गया था। यह एक काला दौर था। आतापकाल हटने के बाद लोकतंत्र की रक्षा के लिए संवैधानिक पुनर्जागरण हुआ और 44वें संविधान संशोधन में सुधार हुए। वर्तमान में सुशासन के तहत नई पहलें समावेश, पंहुच और दक्षता को बढावा दिया गया। नागरिक केन्द्रित पहलें प्रारम्भ की गयी। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के द्वारा महिलाओं की भागीदारी बढाई गयी। इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री मनीष बंसल, अपर जिलाधिकारी प्रशासन श्री संतोष बहादुर सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व श्री सलिल कुमार पटेल, सिटी मजिस्ट्रेट श्री गजेन्द्र कुमार सहित समस्त एसडीएम एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
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