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तारिक़ रामपुरी के निवास पर एक शाम चौधरी फैय्याज़ के नाम मुशायरे में शायरों ने सुनाए एक से बढ़कर एक कलाम

तारिक़ रामपुरी के निवास पर एक शाम चौधरी फैय्याज़ के नाम मुशायरे में शायरों ने सुनाए एक से बढ़कर एक कलाम

रिपोर्ट अमन मलिक

रामपुर मनिहारान-साहित्यिक संस्था द्वारा मुशायरे का आयोजन किया गया जिसमें शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किए।मुशायरे की शमा रोशन सभासद नफ़ीस सैफ़ी ने की।अध्यक्षता शौकत राही व संचालन तारिक़ रामपुरी ने किया।

तारिक़ रामपुरी के निवास पर आयोजित एक शाम चौधरी फैय्याज़ के नाम मुशायरे का आग़ाज़ आरिफ़ तन्हा ने नाते पाक से किया।अपने खूबसूरत अंदाज़ में कलाम पेश करते हुए चौधरी फैय्याज़ ने कहा कि लज़्ज़ते ज़ब्त तमन्ना को हमीं जानते हैं, जिसको चाहा उसे महसूस भी होने न दिया।मशहूर नुमाइंदा शायर तारिक़ रामपुरी ने अपने ख्यालात का इज़हार यूँ किया 'मैं तेरे बाद भी तेरी गली से जब गुज़रता हूँ, सरक जाते हैं पर्दे और दरीचे बोल पड़ते हैं।ताहिर मलिक रामपुरी ने कहा 'इसी सबब तेरी तस्वीर माँगता हूँ मैं, तेरा ख़्याल ज़रूरी है शायरी के लिए।युवा शायर तस्लीम आरफ़ी ने कुछ यूं कहा 'मैं ही सबसे अज़ीज़ ख़ादिम हूँ, मेरा ही हक़ है बादशाह के बाद।नोजवान शायर ज़ुबैर तन्हा ने कलाम पेश करते हुए कहा 'इब्तिदा में टूटने वाला था जो,हमने वो रिश्ता निभाया देर तक।समीर नम्बरदार ने शानदार अंदाज़ में कुछ यूँ कहा 'जब से आदाब ए गुफ़्तगू आए,तब से बढ़ने लगी है ख़ामोशी। आरिफ़ तन्हा ने कहा ' भूख ने उसकी ज़िंदगी खा ली,एक बच्चे ने छिपकली खा ली।शौकत राही ने कहा "पहले तो दूर तक आते थे चल के लोग,अब देखते नहीं मुझे घर से निकल के लोग।असलम सैफ़ी ने कहा 'हमें ही साथ ले लो गर कोई साथी नहीं मिलता,कि तन्हा महफिले अग्यार में जाया नहीं करते।मरगूब अंसारी ने यूँ कहा 'यह ख़ौफ़ है कि रगों में लहू न जम जाए,तुम्हें गले से लगाया नहीं बहुत दिन से।मुशायरे में चौधरी फैय्याज को स्मृति चिन्ह व शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया।

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