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उम्मीदवारों में कौन भाग्यशाली सीट निकालेगा

उम्मीदवारों में कौन भाग्यशाली सीट निकालेगा

छुटमलपुर-रात्रि से ही जिस प्रकार से लगातार वर्षा हो रही है सभी प्रत्याशियों का गणित गड़बड़ कर दिया है क्योंकि आज सभी प्रत्याशियों के रोड शो होने थे होंगे या नहीं यह प्रत्याशी के ऊपर निर्भर करता है।।

आज 2 तारीख है।।। आज हम यह खुलासा करना चाहेंगे छुटमलपुर में जो जनता के बीच में भाजपा का युद्ध नजर आ रहा है यह युद्ध ऊपर का बड़े लीडरों का है जोकि लगातार भाजपा प्रत्याशियों को हराने की जुगत में लगा हुआ है अपने लीडर के माध्यम से ही छुटमलपुर में भी हो हल्ला मचाया जा रहा है। इनका उद्देश्य यह है कि कोई भी प्रत्याशी जीते परंतु भाजपा का प्रत्याशी जीतना नहीं चाहिए। हकीकत इससे हटकर है। छुटमलपुर की जनता के बीच में जो भी प्रत्याशी आए हैं उन सभी के बारे में जनता  भी जानती है। कौन समर्थन किसको दे रहा है? जनता को यह सोचने समझने की आवश्यकता नहीं है! आवश्यकता इस बात की है कि आपके बीच का प्रत्याशी ऐसा कौन सा प्रत्याशी है जो पहले भी और आज भी गरीब जनता के बीच में खड़ा हो जाता है? केवल चुनाव में ड्रामा करने से चुनाव जीते नहीं जाते बल्कि आज के वक्त में जिस प्रकार से वोटर खामोश है इस खामोशी का क्या अंदाजा लगाएंगे आप रिजल्ट स्वामी समझ जाएंगे।।बिरादरी बाद का नारा देकर कभी भी चुनाव जीता नहीं जाता हमने पहले भी कहा था 

कि हम 2 तारीख को इस बात का खुलासा करेंगे की हार जीत किसकी होने वाली है? जनता को बखूबी पता है कि कहां क्या चल रहा है? जिस प्रकार से चुनाव में आंधी की तरह पैसे को बाहर जा रहा है इस पैसे की पूर्ति भी हमारे से ही की जाएगी इसलिए जनता का दायित्व बनता है कि वह ऐसे प्रत्याशी का चयन करें जिसके बारे में आप बखूबी जानते हो! जातिवाद ने हमारे बीच में विधानसभा से लेकर आज भी एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी है जिस दीवार को अंगिरा ही नहीं सकते! चुनाव तो 5 साल के बाद दोबारा फिर आ जाता है लेकिन जो दीवार हमारे दिलों के बीच में खड़ी होती चली जा रही है इसका क्या होगा?जनता यह भी जान रही है कि किस तरह के शब्दों का उच्चारण किया जा रहा है और ऐसे गिरे हुए शब्दों का इस्तेमाल कौन कर रहा है जनता इसका जवाब दे? जनता यह भी एक बार सोचे कि जो लोग इतना हो हल्ला अभी मचा रहे हैं आगे उनका हाल क्या होगा?जीत हार तो ईश्वर का काम है कोई भी व्यक्ति किससे बुराई लेना नहीं चाहता उसमें एक व्यक्ति मैं भी हूं मैं भी नहीं चाहता कि मैं किसी से बुरा बनो फिर यह द्वेष भावना कैसी? चुनाव लड़ी ए लेकिन प्यार के साथ। जिस प्रकार से दो सगे भाई कोर्ट में वकील होते हैं और उनके मुवक्किल अलग-अलग होते हैं मेरे दोनों बहस करते हैं लेकिन बाहर होकर एक दूसरे को बधाई देते हैं ऐसा ही कुछ चुनाव में भी होना चाहिए बिरादरी वाद, देश भावना, रंजीश बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए।इस समय भाजपा, बसपा, सपा, निर्दलीय उम्मीदवारों में बड़ा अच्छा संघर्ष हो रहा है इनमें कौन भाग्यशाली सीट निकालेगा अभी इसका आकलन ने तो प्रत्याशी ही लगा पा रहे हैं और ना ही प्रत्याशी के शुभचिंतक।।

रिपोर्ट-सुरेश गुप्ता

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