रक्तदान के क्षेत्र में “मृदुल” ने लिया विश्व रिकॉर्ड बनाने का संकल्प
रिपोर्ट-अमान उल्ला खान
सहारनपुर,-19 वर्षीय मृदुल ने आज से एक वर्ष पहले 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर स्वैच्छिक रक्तदान आरंभ कर दिया था। मृदुल का कहना है कि रक्तदान की प्रेरणा उसे विश्व में सर्वाधिक 153 बार के रक्तदाता सहारनपुर वासी आचार्य महामंडलेश्वर सन्त कमलकिशोर जी को रक्तदान करते देखकर मिली और उत्साहवर्धन दादा महामंडलेश्वर सुरेंद्र कुमार शर्मा से मिला। उसने निश्चय कर लिया कि वह सन्त कमलकिशोर जी महाराज से भी अधिक बार रक्त दान कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।
दिव्य शक्ति अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर सन्त कमलकिशोर जी ने बताया कि आंकड़ों के अनुसार भारतवर्ष में प्रतिदिन लगभग 12,000 (वर्ष मे 44 लाख) लोगों की मृत्यु रक्त की उपलब्धता न होने पर हो जाती है। रक्त का कोई विकल्प नहीं है,क्योंकि वैज्ञानिक आज तक नकली रक्त नहीं बना सके। मानव को केवल मानव का रक्त ही चढ़ाया जा सकता है और वर्ष में केवल 4 बार ही रक्तदान किया जा सकता है। ऐसे में इस युवा मृदुल का संकल्प युक्त साहसिक कार्य देश के युवाओं के लिए आदर्श मार्गदर्शन का कार्य करेगा।ज्ञात हो कि मृदुल ने अपने जीवन का पहला रक्तदान भी सहारनपुर आकर 18 वर्ष की आयु पूर्ण होते ही किया था। अपना सबसे पहला रक्तदान उसने 18 वर्ष की आयु पूरा होते ही सहारनपुर में आकर किया था। और अब चौथा रक्तदान भी उसने सहारनपुर में ही संतों के सान्निध्य मे, एसबीडी राजकीय हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में किया। इस अवसर पर दिव्य शक्ति अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर संत कमलकिशोर जी, महामंडलेश्वर अनिल कोदण्ड श्यामसखा जी महाराज, महामंडलेश्वर पंडित विद्यासागर चूड़ामणि जी महाराज और मृदुल के दादा ज्योतिषाचार्य महामंडलेश्वर डॉ सुरेंद्रशर्मा जी महाराज उपस्थित थे। सभी महामंडलेश्वरों ने उसे स्वस्थ दीर्घायु जीवन और यशस्वी भव का आशीर्वाद प्रदान किया।

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