हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम की शाहदत की याद मे मातमी जुलूस
जुलूस मे अकीदत मंदो ने भारी तादाद मे जंजीरो मे बंघी छुरियो व हाथ से अपने शरीर पर मातम किया, हज़्ारत अली अकबर अलैहिस्सलाम का गम सोगवारो के दिलो दिमाग पर छाया हुआ था जिन लोगो ने छुरियो से मातम किया था उनके शरीर से खून रिस रहा था। सभी ग़मजदा लोगो ने काले कपडे पहन रखे थे तथा नंगे पैर,गरेबान चाक, सीनाज़नी/मातम करते हुए चल रहे थे। सभी अकीदत मंद लब्बैक या हुसैन, या हुसैन, या अली, या अब्बास, हाय सकीना हाय प्यास की आवाजे़ बुलंद कर चल रहे थे। मातमी जुलूस छोटी इमाम बारगाह से शुरू होकर मौहल्ला मुत्रीबान, नखासा बाजार, खानी बाग, फारूख की मस्जिद सर्राफा बाजार पुराना बजाजा, हलवाई हटटा, बाजार दीनानाथ, बडतला यादगार, भगत सिह चैक, मोर गंज, नगर कोतवाली के सामने से होता हुआ पुल दाल मण्डी, मटिया महल, आर्य कन्या इण्टर कालेज से होता हुआ मौहल्ला जाफर नवाज स्थित बडा इमामबाड़ा जाफर नवाज़ पहुचा वहा कुछ समय रूकने के बाद जुलूस की वापिस पुल सब्जी मण्डी, जामा मस्जिद कला, नया बाजार, गौरी शंकर बाजार, चूडी बाजार, मौहल्ला संगियान, चैक मौहल्ला अन्सारियान से होता हुआ छोटा इमाम बाड़ा अन्सारियान पहुच कर सम्पन्न हुआ।मातमी जुलूस मे सबसे आगे ऊंट, दर्जनो घोडे, बैल व झोठा गाडियां, आदि पर बैठे छोटे छोटे बच्चे काले कपडे पहने नाराये रिसालत या रसूउल्लाह, हाय सकीना हाय प्यास, चमन चमन कली कली अली अली अली अली, नाराए तकबीर अल्लाहो अकबर, हुसैनियत जि़दाबाद यज़ीदयत मुर्दाबाद आदि के नारे लगा रहे थे बच्चो के हाथे मे काले निशान थे उनके पीछे शबीह अलम हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम को लेकर अली रज़ा चल रहे थे। बड़े अलम के पीछे मातमी अन्जुमनो में अन्जुमने अकबरिया, अन्जुमने इमामिया व अन्जुमने सोगवारे अकबरिया चल रही थी।


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