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ध्यान केवल आँखें बंद करना नहीं,भीतर की आँखें खोल देना है-स्वामी चिदानन्द

ध्यान केवल आँखें बंद करना नहीं,भीतर की आँखें खोल देना है-स्वामी चिदानन्द

गंगा जी के प्रति जागरूकता और आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन’

रिपोर्ट श्रवण झा

ऋषिकेश-विश्व ध्यान दिवस के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के मां गंगा के पावन तट पर गंगाजी के प्रति जागरूकता एवं आरती प्रशिक्षण कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सभी पुरोहितों को सामूहिक ध्यान साधना करयी।परमार्थ निकेतन,नमामि गंगे,अर्थ गंगा और जल शक्ति मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गंगा जी के प्रति जागरूकता और आरती प्रशिक्षण कार्यशाला में गंगा तटवर्ती पाँच राज्यों,उत्तराखण्ड,उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखंड,और पश्चिम बंगाल,तथा विस्तृत गंगा बेसिन से जुड़े  पुरोहित,रिचुअल,प्रैक्टिशनर तथा युवा प्रशिक्षु शामिल हुए।पुरोहितों को गंगा जी की आरती,शुद्ध मंत्रों के उच्चारण के साथ ध्यान और योग का भी अभ्यास कराया गया। 

स्वामी जी ने पुरोहितों को संबोधित करते हुए कहा कि आज संसार बाहर से आगे बढ़ रहा है,पर भीतर से थक रहा है।मन अशांत है,हृदय तनाव से भरा है। ऐसी स्थिति में मानवता को सबसे अधिक आवश्यकता ध्यान व साधना की है। ध्यान केवल आँखें बंद करना नहीं,भीतर की आँखें खोल देना है।यह स्वयं से साक्षात्कार है।स्वामी जी ने कहा कि आज की पीढ़ी गैजेट्स पर पूरी दुनिया स्क्रोल कर रही है,परन्तु अपने भीतर उतरने का सामर्थ्य खो रही है। सूचनाएँ बढ़ रही हैं,पर शांति घट रही है इसलिए ध्यान को जीवन की दिनचर्या का अनिवार्य भाग बनाना होगा।स्वामी जी ने कहा कि ध्यान,मानव धर्म है।यह कोई संप्रदाय नहीं,जीवन का पथ है।यह मौन नहीं बल्कि स्वयं को सुनने की साधना है। ध्यान वह कुँजी है जो भीतर के अंधकार को प्रकाश में बदल देती है।स्वामी जी ने कहा कि ध्यान व्यक्ति को बदलता है, व्यक्ति समाज को बदलता है,समाज राष्ट्र को बदलता है और राष्ट्र पूरी दुनिया को बदल देता है इसलिए ध्यान केवल साधना नहीं,वैश्विक समाधान है।स्वामी जी ने कहा कि ध्यान मन को स्थिर करता है,  दृष्टि को विस्तृत करता है,निर्णय को परिपक्व बनाता है।शांत मन ही करुणा ,संयम,नेतृत्व और सेवा की प्रेरणा देता है।जो स्वयं से जुड़ जाता है,वह सृष्टि से जुड़ जाता है।शांत मन ही सशक्त विश्व की नींव है और सेवा ही जीवन का श्रेष्ठ स्वरूप।उपस्थित सभी पुरोहितों ने पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य में कुछ क्षण ध्यान का अभ्यास किया।

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