टमाटरों के दामों में तल्खी बरकरार,तीन सौ रुपए तक जा सकते है दाम
हिमाचल और उत्तराखण्ड के उत्पादन वाले क्षेत्रों में भारी बरसात के कारण टमाटरों की फसल प्रभावित
रिपोर्ट- अमित यादव मोनू
टमाटरो की बढती कीमतों के कारण आम वा मध्यम वर्ग के परिवार हैरान और परेशान है।टमाटरो ने आम परिवारो की रसोई के जायके को बिगाड़ रख दिया है। टमाटर का उपयोग लगभग सभी सब्जियों मे होने के कारण हरी सब्जियों की मांग मे इस वजह से कमी देखने को मिल रही है। मई के महीने में 10 से 15 रूपए बिकने वाला टमाटर दो महीने से 200 से 250 रूपए किलो के हिसाब से बिक रहा है।केन्द्र सरकार द्वारा विगत 14 जुलाई से सरकारी एजेंसियों के माध्यम से टमाटर की खुदरा बिक्री शुरू करायी गई थी। जिस कारण शुरूवात मे कुछ दिन दामों मे कमी जरूर देखने को मिली थी।मगर व्यापक स्तर पर ये प्रयास नाकाफी साबित हुए।दूसरी तरफ तीन दिनों से आपूर्ति मे कमी के कारण कीमतों में फिर उछाल देखा जा रहा।
क्यों बढ़ रहे है टमाटर के दाम
कर्नाटक, महाराष्ट्र,तमिल नायडू समेत हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड टमाटर की फसल के मुख्य उत्पादक केन्द्र माने जाते है और यही से पूरे भारत को टमाटर की आपूर्ति होती है।जुलाई के महीने में पहाड़ों पर असाधारण बरसात और भूस्खलन के कारण टमाटर की फसलें बुरी तरह खराब होने के साथ इसकी गुणवत्ता और बाजारो मे आवाजाही प्रभावित हुई।जिस असर ये हुआ कि होलसेल मार्किट के थोक कारोबारियों ने टमाटर की कीमत 300 रुपए तक पहुंचने की आशंका जता दी।सब्जी कारोबारियों का कहना है कि आपूर्ति कम होने के कारण टमाटर के थोक मूल्य में वृद्धि हो सकती हैं और खुदरा बाजार पर इसका असर पड़ना स्वाभाविक है।
कब कम होंगी टमाटरों की कीमतें
जैसे की उम्मीद जताई जा रही की बरसात कम होने के बाद ही कीमतों में गिरावट दर्ज की जाएगी मगर जल्द ऐसा प्रतीत नही हो रहा है क्योंकि उत्तर भारत के राज्यो में मानसून पुनः सक्रिय हैं जो आने वाले तीन दिनों में अच्छी बरसात देने को बेकरार है जिस कारण एक बार फिर से टमाटर की फसल ,गुणवत्ता और आवाजाही प्रभावित हो सकती है।बहराल बारिशों के इस दौर के बाद टमाटरों के कीमतें जरूर कम होगी जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार है

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