प्रभाकर जी का साहित्य मानवीय चेतना का साहित्य-वीरेन्द्र आज़म
साहित्यकार डॉ. वीरेन्द्र आजम, विजेंद्रपाल शर्मा व राजीव उपाध्याय ‘‘श्री सम्मान’’ से सम्मानित
रिपोर्ट-अमान उल्ला खान
समारोह में डॉ.कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर के व्यक्तित्व, कृतित्व पर आख्यान देते हुए डॉ.वीरेन्द्र आजम ने उन्हें रिपोर्ताज विधा का जनक बताते हुए कहा कि उन्होंने सबसे पहला रिपोर्ताज 1927 में गुरुकुल कांगड़ी के रजत जयंती समारोह पर और दूसरा रिपोर्ताज देवबंद के चैती मेले पर लिखा था। उन्होंने कहा कि प्रभाकर जी का साहित्य मानवीय चेतना का साहित्य है। उनके जीवन, कर्म, विचार, साहित्य और पत्रकारिता में मानवता समान रुप से विद्यमान है। प्रभाकर जी अपनी मानवीय चेतना के साथ अपनी प्रत्येक कृति और रचना में मौजूद हैं। उनका सम्पूर्ण जीवन मानव सेवा और राष्ट्रसेवा को समर्पित रहा। उनका साहित्य मानव की मन स्थिति को दीनता से महानता में, संकीर्णता से उदात्तता में और विध्वंस से रचनात्मकता में परिवर्तित करने की संशोधनशाला है। इसके अतिरिक्त डॉ.विजेंद्र पाल शर्मा ने भी उनके रिपोर्ताज पर प्रकाश डाला। वी के डोभाल, मनोज रस्तोगी व डॉ. शारदा ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन राजीव उपाध्याय यायावर ने किया।
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