जामिया रहमत (अरबिक कॉलेज) घघरौली की जामा मस्जिद मुगीसी में अदा की गई ईद-उल-अजहा की नमाज़, सैंकड़ों लोगों की शिरकत
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-जामिया रहमत (अरबिक कॉलेज) घघरौली की जामा मस्जिद मुगीसी में ईद-उल-अजहा की नमाज़ सुबह 6:30 बजे अदा की गई। नमाज़ में घघरौली और आसपास के इलाकों से सैंकड़ों मर्द और नौजवान शामिल हुए। नमाज़ की इमामत और ख़ुत्बा मौलाना डॉक्टर अब्दुल मालिक मुगीसी (ख़ादिम जामिया रहमत) ने पेश किया।
नमाज़ से पहले मौलाना ने बयान में सूरह कौसर के हवाले से क़ुरबानी की अहमियत और उसका मक़सद समझाया। उन्होंने कहा, "अल्लाह तआला ने अपने प्यारे नबी ﷺ को 'कौसर' यानी बहुत सी भलाईयां दीं, और उस पर शुक्र अदा करने के लिए 'फसल्लि लि रब्बिका वन्हर' यानी नमाज़ पढ़ो और क़ुरबानी करो का हुक्म दिया। यही क़ुरबानी अल्लाह की नेमतों का असली शुक्र है, और ईद-उल-अजहा इसी जज़्बे की याद दिलाती है।"आगे मौलाना ने यह भी कहा कि हालाँकि औरतों पर ईद की नमाज़ फ़र्ज़ नहीं है, मगर वो जिस जज़्बे से अपने घर वालों और बच्चों को तैयार करती हैं, मेहमानों की मेहमाननवाज़ी करती हैं और ईद के इंतेज़ाम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती हैं, तो अल्लाह के यहाँ उन्हें भी बहुत सवाब मिलेगा।बयान के आख़िर में मौलाना ने क़ुरबानी के बाद सफ़ाई का ख़ास ख्याल रखने की भी ताकीद की। उन्होंने कहा कि "क़ुरबानी के जानवरों के बचे हुए हिस्सों को सड़कों या आम रास्तों पर ना फेंकें, बल्कि साफ़-सुथरी जगह पर सही तरीक़े से दबा दें, ताकि बदबू या गंदगी ना फैले।
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