चिलचिलाती गर्मी ने किया हलकान।घरों से बाहर निकलना एक चुनौती।बाज़ारों से ग्राहक नदारद।गर्मी से राहत के लिए लोग माँग रहे दुआएँ।
रिपोर्ट अमन मलिक
रामपुर मनिहारान-चिलचिलाती गर्मी और गर्म हवाओं ने लोगों को झुलसा कर रख दिया है।हालत ये हो गई है कि न घर में राहत न बाहर चैन।सूरज निकलने के साथ ही तपिश का आलम शुरू होता है वो देर रात तक अपना असर दिखाता है।
पिछले कुछ दिनों से सूरज लगातार आग सी बरसा रहा है।सूरज निकलने के साथ तपिश शुरू हो जाती है जो दोपहर तक अपने शबाब पर आ जाती है।ताहिर मलिक रामपुरी का ये शेर 'गुमान होने लगे मुझको इक क़यामत का,यूँ पास बैठो मेरी जान दो घड़ी के लिए।ऐसा लगता है कि इस शिद्दत की गर्मी के लिए ही कहा गया है।बिना साये के चलने बैठने पर क़यामत का सा ही अहसास होता है।पसीना पल भी दामन नहीं छोड़ता।जिससे शरीर चिपचिपा महसूस होने लगता है।इस तपिश ने लोगों के हलक सुखा दिए हैं।कितनी ही बार पानी पी लिया जाए प्यास है कि मिटती ही नहीं।राहगीरों का तो और भी बुरा हाल है।ठंडे पानी की बोतल भी चंद मिनटों में गर्म पानी की बोतल में बदल जाती है।इस धूप के खेल का असर बाजारों में भी दिखाई देने लगा है।बाज़ार में ग्राहकों की आमद कम हो गई है।बिना ज़रूरत के कोई बाहर नहीं जाना चाहता।कुछ दुकानदारों द्वारा ठंडा मीठा शर्बत वितरित किया जा रहा है जिससे राहगीरों व स्थानीय लोगों को थोड़ी राहत ज़रूर मिल रही है फिर भी ये नाकाफ़ी है।जब तक बारिश नहीं होती तब तक चिलचिलाती धूप और तपिश से राहत के कोई आसार नहीं हैं।उधर बार बार लगने वाले बिजली के कट और लो वोल्टेज घरों में रहने वाली महिलाओं, बच्चों, बीमार और बजुर्गों के लिए जी का जंजाल बन गए हैं।इस सबसे घबरा कर लोग बारिश की दुआएँ कर रहे हैं।
0 टिप्पणियाँ