द् दून वैली पब्लिक स्कूल में एसटीईएम कार्यशाला का हुआ भव्य आयोजन
रिपोर्ट समीर चौधरी
देवबंद-द दून वैली स्कूल में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तत्वावधान में एसटीईएम आधारित समावेशी शिक्षा विषय पर एक प्रभावशाली और अनुसंधानपरक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित को व्यवहारिक और समावेशी शिक्षा प्रणाली से जोड़ते हुए विद्यार्थियों में नवाचार, विश्लेषणात्मक सोच और बौद्धिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।
कार्यशाला का शुभारम्भ द दून वैली स्कूल की प्रधानाचार्या डॉ. सीमा शर्मा जी, क्वालिटी हेड श्रीमती अर्चना शर्मा जी, उप-प्रधानाचार्या श्रीमती तनुज कपिल जी व श्री हरद्वीप सिंह जी , विशिष्ट अतिथि श्रीमती जसबीर कौर जी (उप-प्रधानाचार्या नचिकेता स्कूलस्), एप्रीसिएशन कमेटी के सदस्यों श्रीमती गरिमा शर्मा जी (प्रधानाचार्या एस.जी.आर.आर. पब्लिक स्कूल, देहरादून), श्री राजकुमार जी (प्रधानाचार्य, जवाहर नवोदय विद्यालय मिर्जापुर), श्री आशुतोष सेमाल्टी जी (जॉइंट सी.डी.ए, आर.एंड.डी., देहरादून) द्वारा माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन और पुष्पार्चन से किया गया। तत्पश्चात् अतिथियों का अभिनंदन तिलक लगाकर, पुष्प गुच्छ देकर, स्वागत गीत व नृत्य द्वारा किया गया ।इस कार्यशाला में क्षेत्र के विभिन्न प्रतिष्ठित विद्यालयों के शिक्षकों तथा शिक्षा विशेषज्ञों ने सहभागिता की। विभिन्न सत्रों में वक्ताओं ने केस स्टडीज और प्रजेंटेशन के माध्यम से यह बताया कि कैसे एसटीईएम आधारित शिक्षा पद्धति बच्चों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उन्हें समस्या-समाधान, तर्क, प्रयोग और अनुसंधान आधारित शिक्षण की ओर प्रेरित करती है। प्रस्तुतिकर्ताओं ने यह भी रेखांकित किया कि एसटीईएम आधारित समावेशी शिक्षा बच्चों की रुचियों और क्षमताओं को पहचानकर उन्हें व्यवहारिक दुनिया से जोड़ती है। कार्यशाला में शामिल विभिन्न वक्ताओं ने समावेशी शिक्षा के संदर्भ में यह विचार भी साझा किया कि कैसे विज्ञान, गणित, तकनीक और इंजीनियरिंग को रचनात्मक रूप से पाठ्यक्रम में समाहित कर विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मक योग्यता को सुदृढ़ किया जा सकता है।प्रत्येक सत्र के पश्चात एप्रीसिएशन कमेटी के सदस्यों द्वारा समीक्षा सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें प्रस्तुतियों की गुणवत्ता पर रचनात्मक प्रतिक्रिया दी गई और वक्ताओं का उत्साहवर्धन किया गया।विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. सीमा शर्मा जी ने कहा कि आज के समय में शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा उत्तीर्ण करना नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चों में तार्किक चिंतन, रचनात्मक दृष्टिकोण और अनुसंधान क्षमता का विकास भी समान रूप से आवश्यक है। उन्होंने इस शिक्षा को बच्चों के भविष्य निर्माण की नींव बताते हुए इसे विद्यालयों में अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही आमंत्रित अतिथियों को धन्यवाद देते हुए स्मृति चिन्ह भेंट किये ।इस अवसर पर उप-प्रधानाचार्य श्री हरद्वीप सिंह ने समस्त अतिथियों, प्रतिभागियों, ज्यूरी सदस्यों तथा आयोजन में सहयोग देने वाले सभी शिक्षकों एवं स्टाफ का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने इस कार्यशाला को विद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि करार देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों की प्रतिभा को निखारने के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी सीखने के नए अवसर प्रदान करते हैं।कार्यशाला का समापन उत्साह, ज्ञान और नवाचार से भरे वातावरण में हुआ, जिसने सभी प्रतिभागियों को एसटीईएम आधारित समावेशी शिक्षा के महत्व और व्यावहारिक पक्षों से परिचित कराया।
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