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सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का विधिवत समापन, जुड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का विधिवत समापन, जुड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

रिपोर्ट एसडी गौतम

नागल-स्वामी दिव्यानंद ट्रस्ट नागल के तत्वावधान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन आचार्य बृजभूषण जी महाराज ने श्री कृष्ण सुदामा की मित्रता के बारे में विस्तार से बताते हुए श्रीमद् भागवत कथा का समापन किया। कथा के समापन पर रविवार सुबह यज्ञ का आयोजन होगा, इसके बाद भंडारा किया जाएगा।

प्रतिदिन बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या से उत्साहित आचार्य बृजभूषण जी महाराज ने कहा कि त्रेता युग में भगवान श्री राम ने सुग्रीव से मित्रता की तो वह भी अपने आप में एक मिसाल बनी।  इसी तरह द्वापर में श्री कृष्ण सुदामा की मित्रता समाज के लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि सुदामा एक गरीब ब्राह्मण थे लेकिन पूज्य सांदीपनि के आश्रम में श्री कृष्ण व सुदामा एक साथ पढ़ते थे जिससे जल्दी ही दोनों आपस में गहरे मित्र हो गए। उन्होंने बताया कि एक वृद्ध महिला अत्यधिक गरीब थी उसे भिक्षा में जो मिलता था उसे बनाया भोजन वह पहले ठाकुर जी को भोग लगती थी उसके पश्चात स्वयं ग्रहण करती थी। एक दिन उसे  भिक्षा के रूप में थोड़े से चावल मिले रात्रि अधिक होने के कारण उसने चावल नहीं पकाए जिससे वह स्वयं भूखी रही तथा ठाकुर जी को भी भोग नहीं लगा सकी। रात्रि में एक चोर आया जब उसे घर में कुछ नहीं मिला तो वह चावलों की पोटली उठा कर ले गया तभी वृद्ध महिला महिला की आंख खुल गई। उसने शोर मचाया तो आसपास के लोगों ने चोर का पीछा किया जिस पर वह चोर भागते-भागते आचार्य सांदीपनि के आश्रम में घुस गया जहां उसने वह पोटली एक तरफ फेंक दी तथा चलता बना। उसके पीछे आए लोग भी वापस लौट गए। सुबह सफाई करते समय आचार्य सांदीपनि की पत्नी ने जब वह चावलों की पोटली देखी तो उसे एक तरफ रख दिया। श्री कृष्णा व सुदामा लकड़ी बीनने जंगल जा रहे थे तो आचार्य सांदीपनि की पत्नी ने वह चावलों की पोटली इन्हें दे दी तथा कहा कि रास्ते में जब भूख लगे तो खा लेना। श्रद्धालुओं पर अमृत वर्षा करते हुए आचार्य बृजभूषण महाराज ने कहा कि जंगल में कुछ देर बाद सुदामा ने वह सभी चावल खा लिए जब श्री कृष्ण को भूख लगी तो उन्होंने सुदामा से चावलों के बारे में पूछा तो सुदामा ने कहा वह तो मैंने खा लिए। आचार्य ने कहा कि सुदामा गरीब ब्राह्मण जरूर थे लेकिन वह त्रिकालदर्शी थे उन्हें मालूम था कि यह चावल शापित है जो इन चावलों को खाएगा वह महा दरिद्र बन जाएगा ठाकुर जी की अनन्य भक्त बुढ़िया माता के आश्रम से चावल की पोटली चुराई गई थी तब उसने श्राप दिया था की जो कोई इन चावलों को खाएगा वह महादरिद्र हो जाएगा। यदि ऐसे चावल मेरे मित्र तीनों लोगों के अधिपति इन चावलों को खाएंगे तो वह दरिद्र हो जाएंगे तब तीनों लोगों का क्या होगा। इससे अच्छा है मैं ही इन सारे चावलों को खा लूं तो केवल मैं ही दरिद्र रहूंगा जबकि मेरा मित्र साधन संपन्न रहेगा। श्री आचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जब अपने मित्र सुदामा की अपने लिए अनन्य भक्ती एवं मित्रता तथा बलिदान देखा तो उन्होंने अपने मित्र सुदामा को बाहों में भर लिया। आचार्य ने श्रद्धालुओं पर श्रीमद् भागवत कथा की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि बाद में जब श्री कृष्ण ने सागर में अपनी नगरी द्वारिका बसाई तो पत्नी के बार-बार कहने पर सुदामा तीन मुट्ठी चावल लेकर श्री कृष्ण के पास द्वारिका पहुंचे जहां द्वारपालों ने उन्हें अंदर नहीं आने दिया। तो सुदामा ने उनसे कहा कि जाकर कृष्ण से केवल यह कह दे की उनका मित्र सुदामा उनसे मिलने आया है। द्वारपालो से सुदामा के आने का समाचार सुनते ही भगवान श्री कृष्णा नंगे पांव सभी कार्य छोड़कर महल के द्वार की ओर दौड़ पड़े। जाते ही उन्होंने सुदामा का आलिंगन किया उसके बाद सुदामा के पैर धोने के लिए एक परांत में जल मंगाया गया लेकिन श्री कृष्ण ने उस जल को छुआ नहीं। केवल अपने आंखों से बह रहे जल से सुदामा के पैर धोए। बाद में  श्री कृष्ण ने सुदामा को सिंहासन पर बैठाया तथा स्वयं सुदामा के चरणों में बैठे वहां के राजसी ठाठ-बात देखकर सुदामा को तीन मुट्ठी चावल श्री कृष्ण को देने में लज्जा आई तो उन्होंने वह चावल छुपा लिए। लेकिन श्री कृष्ण ने वह चावल उनसे छीन लिए तथा खाने लगे। तीन मुट्ठी चावल खाकर भगवान श्री कृष्णा सुदामा को तीनों लोक देना चाह रहे थे श्री कृष्ण की पत्नी रुक्मणी उन्हें बार-बार चावल खाने से रोकना चाहती मगर मित्रता के प्रेम के वसीभूत हुए श्री कृष्णा चावल खाने में मग्न रहे। उन्होंने दो मुट्ठी चावल खाए तो रुक्मणी ने रोक ही दिया जिस पर उन्होंने दोनों लोक  का राज्य सुदामा को दिया। श्री कृष्ण से मिलकर जब सुदामा अपने गांव पहुंचे तो वहां बड़ा महल देखकर हतप्रभ रह गए। तभी पता चला कि यह महल एवं अकूत संपत्ति उन्ही की है आचार्य ने कहा कि भगवान  ने श्री राम के रूप में सुग्रीव से तथा कृष्ण के रूप में सुदामा से ऐसी मित्रता निभाई जिससे आज हर कोई प्रेरणा लेता है। श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन शनिवार को राजेंद्र बंसल परिवार सहित भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे रहें जिसमें महिलाओं की संख्या अत्यधिक रही।

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