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भागवत को समझना भगवान को समझने के बराबर है-भरत भाई मुंदड़ा

भागवत को समझना भगवान को समझने के बराबर है-भरत भाई मुंदड़ा

रिपोर्ट श्रवण झा

हरिद्वार-जगजीतपुर स्थित श्रीजलाराम आश्रम में आयोजित संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ श्रीमद्भागवत महापुराण पोथी यात्रा से किया गया।कथाव्यास भरत भाई मुंदड़ा महाराज ने श्रद्धालुओं को भागवत कथा का रसपान कराया।

वरिष्ठ महामण्डलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानंद गिरि महाराज के सानिध्य में आरम्भ हुई श्रीमद्भागवत कथा प्रसंग की शुरूआत करते हुए कथाव्यास ने भगवान के स्वभाव और लीलाओं का वर्णन किया।उन्होंने कहा कि भागवत को समझना भगवान को समझने के बराबर है।जन्म-जन्मांतर एवं युग-युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है,तब ऐसा अनुष्ठान होता है।श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है।इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं।श्रोता को मोक्ष की प्राप्ति होती है।उन्होंने कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानवजाति तक पहुंचता रहा है।भागवत पुराण उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है, जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है।इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है।उन्होंने कहा कि सबसे पहले शुकदेव महाराज ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी।उन्हें सात दिनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था।उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। इस अवसर पर गुजरात प्रांत से आए सैंकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे। 


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