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होली में छिपे आध्यात्म और विज्ञान को समझ होली मनाएं-डॉक्टर असलम खान

होली में छिपे आध्यात्म और विज्ञान को समझ होली मनाएं-डॉक्टर असलम खान

सहारनपुर- नगर शांति समिति द्वारा आज पुतलीबाई धर्मशाला में होली मिलन का कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें नगर के गणमान्य व्यक्ति द्वारा होली का महत्व बताया नगर शांति समिति की ओर से सम्मानित सम्मानित चिन्ह देकर सम्मान दिया गया

नगर शांति समिति द्वारा होली मिलन कार्यक्रम में बोलते डॉक्टर असलम खान बताया की हमारे देश के त्योहारों में आध्यात्म और विज्ञान का अद्भुत समन्वय है। सभी त्योहारों के साथ कोई न कोई छोटी सी प्रेरक कहानी जोड़ी गई है। जैसे होली में प्रहलाद और हिरणकश्यप की कहानी। एक ईश्वर से प्रेम करने वाला, ईश्वर को ही सर्वश्रेष्ठ मानने वाला और दूसरा अहंकारी, स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ बताने वाला। ईश्वर को सर्वश्रेष्ठ मानने वाले पर अहंकारी का हर दांव फेल होता है, शक्तिशाली दिखने वाले अहंकारी का विनाश होता हैयह कथा तो साधारण लोगों के समझाने के लिए है। किंतु इस होली के त्योहार मे गहरा आध्यात्म और सुखमय जीवन का विज्ञान है। जिसे मैं संक्षेप में बताने की कोशिश करता हूं।सभी धर्मों की स्थापना देश, काल और परिस्थिति के अनुसार मानवता के कल्याण तथा सुखमय जीवन जीने के मानक तय करने के लिए हुई है। होली महत्वपूर्ण क्यों चौराहे पर अलाव जलाना. जीवन से सूखापन तथा दुखदाई झाड़ झंकार, दुःख देने वाली बुराई रूपी कांटों को सार्वजनिक रूप से समाप्त करने का प्रतीक है। विज्ञान यह है की होली से पहले वायुमंडल में जगह जगह ठंडी के पैच जो कभी ठंडी, कभी गर्मी के कारण हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं, उन्हें एक साथ पूरे देश में अलाव जलाकर समाप्त करना तथा अनेक प्रकार के हानिकारक वायरस, फंगस, बैक्टीरिया जो वायुमंडल में हैं उन्हें नियंत्रित कर स्वस्थ जीवन की शुरुआत करना

 रंग डालना. ईश्वरीय ज्ञान के रंग में रंग कर सभी भेद समाप्त करना तथा प्रेमपूर्ण समाज का निर्माण करना। पहले होली में टेसू के फूलों के रंग से होली खेली जाती थी, जो इसी समय खिलता है। टेसू के फूल से अनेक प्रकार के चर्म रोग दूर होते हैं, आंतरिक और बाह्य अनेक बीमारियों को पूरे वर्ष के लिए दूर भगा देता है, यह विज्ञान रंग खेलने के पीछे था।मस्तक पर तिलक लगाना, नए वस्त्र धारण करना, गले मिलना और गुझिया खिलाना. तिलक आत्म स्मृति का प्रतीक है। जब हम आत्मिक स्मृति में होते हैं तो सभी भेद समाप्त हो जाते हैं, सभी एक परमात्मा पिता की संतान समझ प्रेम से गले मिलते हैं। नए वस्त्र धारण करने का मतलब है पुरानी बातें भूल कर नए वर्ष में प्रेम पूर्ण नए जीवन की शुरुआत करना। बीती को बीती करना अर्थात जो हो ली सो हो ली।  मुख के आकार की गुझिया, मधुर बोल के साथ जीवन की नई शुरुआत करने का प्रतीक है।खेतों मे तैयार रबी की फसलें तथा ऋतुराज बसंत, प्रकृति और पुरुष दोनों के समन्वय द्वारा, इस होली के पर्व पर खुशनुमा वातावरण तैयार करते हैं। हर मन, नाचने और गाने के लिए उद्दयत रहता है।आइए हम अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति को पहचाने, पुरानी परंपराओं मे छिपे गहरे आध्यात्म और विज्ञान को आत्मसात कर होली मनाएं। आने वाले नए वर्ष मे सुखमय जीवन की नीव रखे।\ डॉ. असलम और सीपीएस टीम सहारनपुर ने माननीय पंडित जय नाथ शर्मा, नगर शांति समिति, सहारनपुर के प्रमुख को उन्नत सामाजिक और आध्यात्मिक विज्ञान में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की, और मौलाना वहीदुद्दीन खान का आध्यात्मिक साहित्य भी दिया और अपने ज्ञानवर्धन किया।


रिपोर्ट-अमान उल्ला खान


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