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आज बतलाओ जो भी शिकवा हो। मैं भी तन्हा हूं तुम भी तन्हा हो।

आज बतलाओ जो भी शिकवा हो। मैं भी तन्हा हूं तुम भी तन्हा हो।

सहारनपुर -परचम संस्था के अदबी विंग परचम उर्दू आंगन की तरफ से ईद मिलन पर एक मुशायरे का आयोजन परचम कार्यालय पर आयोजित किया गया जिसमें सऊदी अरब रियाद से तशरीफ लाए मुख्य अतिथि इंजीनियर जनाब सोहेल इकबाल साहब रहे जिनकी एक किताब सहरा में शाम शाया हो चुकी है सभी ने मुख्य अतिथि को मालाएं देकर स्वागत किया।मुशायरे का आगाज  आसिफ शमसी ने नात से किया। पहले हिस्से की सदारत डॉक्टर अयूब ने दूसरे हिस्से की सदारत सीनियर जर्नलिस्ट अहमद रजा ने की।कुछ चुनिंदा शेर इस तरह हैं।

बिछड़ कर तजरबा ये कर चुका हूं में कितने साल पहले मर चुका हूं। फ़राज़ अहमद फराज दिल से दिल को मिलाओ के आज ईद है।हाथ सबसे मिलाओ के आज ईद है।नुसरत परवीन तुम जो कहते हो दिल को चुभता है। चाहे फिर सारे बेवफा कह दें ।मुस्तकीम रोशन तमाम उम्र रहा जिसका इंतजार मुझे।वो आज लगता है गुजरा हुआ गुबार मुझे तलत सरोहा मेरी आंखो ने रात लिया तेरा चेहरा।हो गया हिफ्ज अब तेरा चेहरा दानिश कमाल मुझे ऐसा रंगे बहार दे। मेरी जिंदगी जो संवार दे। मुझे वह शतों से निकाल कर मेरी जिंदगी के करार दे।डॉक्टर कुद सिया अंजुम आज बतलाओ जो भी शिकवा हो। मैं भी तन्हा हूं तुम भी तन्हा हो। सारी दुनिया से दुश्मनी कर लूं ।दोस्ती पर अगर भरोसा हो।आसिफ़ शमसी जिस ने इवाने तमद्दुन में जलाए थे चिराग।अब इसी कोम को हैरत से जमीन देखती है।डॉक्टर जमील मानवी।द रख तो की हिफाज़त कर रही है।ये चिड़िया जो तिलावत कर रही है। समंदर झील दरिया मेकादों की। तेरी आंखें तिलावत कर रही हैं। इंजीनियर सुहेल इकबाल मुशायरे का संचालन आसिफ शमसी ने किया।  कहा की इस तरह की महफिलें ज़बान को जिंदा रखने के लिए आवश्यक हैं।कार्यक्रम में फरजाना शेख, एडवोकेट यू सारा सिद्दीकी, बुशरा, मुबाश्रा खान, अफसरा, परवीन  आदि उपस्थित रहे।संचालन आसिफ शमसी ने किया।

रिपोर्ट-अमान उल्ला खान

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