ग्लोकल यूनिवर्सिटी में पैरामेडिकल कॉलेज के द्वारा आयोजित छः इंटेलैक्चुअल प्रॉपर्टी उत्सव का हुआ समापन
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-ग्लोकल यूनिवर्सिटी के द्वारा आयोजित छः दिवसीय इंटेलैक्चुअल प्रॉपर्टी उत्सव का समापन हो गया। इस छः दिवसीय इंटेलैक्चुअल प्रॉपर्टी उत्सव का समापन विश्व रचनात्मकता एवं नवाचार दिवस पर हुआ। इस उपलक्ष्य पर ग्लोकल विश्वविद्यालय के द्वारा "स्वामित्व की प्रतिध्वनि: संगीत, नवाचार और बौद्धिक संपदा" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का भी आयोजन किया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के आईक्यूएसी (IQAC) और ग्लोकल इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (IIC) के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ।
संगोष्ठी का उद्घाटन एडिशनल प्रो-चांसलर श्री सैयद निज़ामुद्दीन एवं कुलसचिव प्रोफेसर शिवानी तिवारी के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में हुआ। कार्यक्रम के संयोजन प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार, निदेशक, आईक्यूएसी ने किया।इस कार्यक्रम की शुरुआत सहायक प्रोफेसर श्री गुरदीप पंवार के स्वागत वक्तव्य एवं सहायक प्रोफेसर श्री हिमांशु के स्वागत भाषण के द्वारा किया गया। उन्होंने सेमिनार के उद्देश्य, प्रासंगिकता और वर्तमान समय में बौद्धिक संपदा अधिकारों की भूमिका पर प्रकाश डाला। मंच संचालन का दायित्व सहायक प्रोफेसर श्री गौतम पंवार ने निभाया, जबकि समन्वयन कार्य सहायक प्रोफेसर सुश्री आश्रिता दुबे और श्री शेख अब्दुल वासे द्वारा किया गया।विशेष वक्ताओं के रूप में पैरामेडिकल विभाग की संकाय सदस्य सुश्री राशदा रहमान और सुश्री आश्रिता दुबे ने "संगीत, नवाचार और बौद्धिक संपदा" विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने रचनात्मकता, नवाचार और बौद्धिक संपदा कानूनों के परस्पर संबंधों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया तथा तकनीकी प्रगति के युग में इनकी महत्ता को रेखांकित किया।इस कार्यक्रम को ग्लोकल यूनिवर्सिटी ने शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल (MIC) और एआईसीटीई द्वारा 21-26 अप्रैल 2025 तक आयोजित "इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) उत्सव" के छठे दिन आयोजित किया। इस वर्ष की थीम "आईपी और संगीत: रचनात्मकता एवं नवाचार की धड़कन को महसूस करें" के अंतर्गत, छात्रों एवं शिक्षकों ने रचनात्मक उद्योगों में बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व को गहनता से समझा और सराहा।इस आयोजन में पैरामेडिकल विभाग के उपरोक्त फैकल्टी सदस्यों सहित श्री मोहम्मद हारिस, सुश्री निगहत अख्तर, श्री अर्जुन पंवार का विशेष योगदान रहा।
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