.......युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए !
नजीबाबाद आकाशवाणी केंद्र पर सहारनपुर के कवियों की काव्य गोष्ठी
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर- सहारनपुर के कवियों की नजीबाबाद आकाशवाणी केंद्र पर सोमवार को एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका प्रसारण मंगलवार रात साढे़ नौ बजे नजीबाबाद केंद्र से किया गया। कवियों ने सामयिक विषयों -विश्व में चल रहे युद्धों तथा बारिश से बिगडे़ हालात पर कविताएं पढ़ी तो वहीं सामाजिक सरोकारों पर भी हाइकु, गीत, माहिया, मुक्तक व कविताओं के माध्यम से समाज को संदेश दिया।
डॉ.विजेंद्र पाल शर्मा के गीत की बानगी देखिये, ‘हाँ! खुशी बाँटने का हुनर, सच कहूँ सीख लें हम अगर/दिव्यता प्राण में आएगी, गुनगुनाने लगेंगे अधर।’ नरेंद्र मस्ताना ने इन पंक्तियों के साथ अतीत के पन्ने पलटे- ‘जब डाकिया चिट्ठी लाता था,सबका चेहरा मुस्काता था/दस पैसे की चिट्ठी पढ़कर,दुःख सुख का पता चल जाता था।’विनोद भृंग ने बारिश से उपजे हालात पर कुछ यूं चिंता जतायी, ‘माँझी ! तट है कितनी दूर/नीचे क्रोध, उफनती लहरें, ऊपर अंबर क्रूर।’डॉ.वीरेन्द्र आज़म ने रुसी राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से विनाश से विकास की ओर लौटने की अपील करते हुए यू पढ़ा, ‘दुनिया को आज शस्त्र नहीं शास्त्र चाहिए/युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए/मिसाइल की आंधी नहीं/ अहिंसा और गांधी चाहिए।’ डॉ. आर पी सारस्वत ने इसी बात को आगे बढ़ाया, ‘युद्ध-युद्ध है, युद्ध भला, गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं/एक जंग सरहद पर छिड़ती, एक दिलों की चौखट पर/धुकर -धुकर सी लगने लगती, तब अनचाही आहट पर।’’ इसके अतिरिक्त कवि हरिराम पथिक व वीरेश त्यागी द्वारा दस-दस मिनट का एकल काव्य पाठ भी किया गया। एकल काव्य पाठ का प्रसारण बाद में किया जायेगा।
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