अफगान विदेश मंत्री का दारुल उलूम देवबंद में भव्य स्वागत
बुखारी शरीफ के विशेष सबक में शामिल होकर प्राप्त की "इजाज़त-ए-हदीस",
कहा – “दारुल उलूम की मोहब्बत हमारी बड़ी पूँजी है
रिपोर्ट समीर चौधरी
देवबंद-अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलाना अमीर खान मुत्तकी शनिवार को विश्वविख्यात इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद पहुँचे, जहाँ उनका विद्यार्थियों और शिक्षकों ने भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर वे बुखारी शरीफ के विशेष दार्स (पाठ) में शामिल हुए और शैखुल हदीस मौलाना मुफ़्ती अबुल क़ासिम नुमानी से इजाज़त-ए-हदीस (हदीस पढ़ाने की अनुमति) प्राप्त की। मौलाना नुमानी ने मौलाना मुत्तकी के सिर पर दस्तार-ए-फ़ज़ीलत (सम्मान की पगड़ी) बाँधी। इसके बाद मौलाना मुत्तकी ने आदरपूर्वक उनके माथे का बोसा लिया और दारुल उलूम देवबंद का आभार व्यक्त किया। करीब सुबह 11:30 बजे मौलाना मुत्तकी दारुल उलूम पहुँचे, जहाँ भारी संख्या में छात्रों की भीड़ ने उनका स्वागत किया।
भीड़ अधिक होने से कुछ समय के लिए अव्यवस्था की स्थिति भी उत्पन्न हो गई, जिसके चलते औपचारिक स्वागत समारोह रद्द करना पड़ा। सुरक्षा के सख्त इंतज़ामों के बावजूद पुलिस और प्रशासन को भीड़ नियंत्रित करने में कठिनाई हुई।बाद में मौलाना मुत्तकी को दारुल उलूम के गेस्ट हाउस ले जाया गया, जहाँ उन्होंने लगभग दो घंटे तक दारुल उलूम के प्रबंध समिति के सदस्यों, शिक्षकों और जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी से विशेष बातचीत की। इस दौरान मौलाना नुमानी और मौलाना मदनी ने उन्हें दारुल उलूम देवबंद की ऐतिहासिक ख़िदमात अवगत कराया। जवाब में मौलाना मुत्तकी ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद के छात्रों की मोहब्बत ही सबसे बड़ी दौलत है। हमारे बुज़ुर्गों का इस संस्थान से गहरा संबंध रहा है और हम इससे बेपनाह मुहब्बत करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच सांस्कृतिक, शैक्षणिक, राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। भारी भीड़ और बद-इंतज़ामी के कारण मौलाना मुत्तकी को निर्धारित कार्यक्रम से पहले ही दोपहर ढाई बजे रवाना होना पड़ा। हालांकि, मूल कार्यक्रम के अनुसार उन्हें इसी समय छात्रों और उलेमाओं को संबोधित करना था। मौलाना मुत्तकी ने जाते समय कहा कि यह यात्रा मेरे लिए यादगार रही। दारुल उलूम देवबंद के शिक्षकों और छात्रों ने दिल से स्वागत किया, जिसके लिए मैं उनका शुक्रगुज़ार हूँ। वहीं, मौलाना सैयद अरशद मदनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्ते ऐतिहासिक और आत्मीय हैं। उन्होंने बताया कि मौलाना मुत्तकी और उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ विस्तृत चर्चा हुई और वे दारुल उलूम देवबंद से एक सकारात्मक और प्रेमपूर्ण संदेश लेकर लौटे हैं।अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलाना आमिर खान मुक्तकी का देवबंद दौरा अव्यवस्थाओं के कारण प्रभावित हुआ। उन्हें अपने निर्धारित समय से ढाई घंटे पहले ही दिल्ली लौटना पड़ा। इस दौरान उनके कुछ ही पूर्व-घोषित कार्यक्रम हो पाए। दारुल उलूम देवबंद में अफगान विदेश मंत्री के स्वागत के लिए व्यापक तैयारियां की गई थीं। दोपहर 3 बजे उनकी लाइब्रेरी में स्पीच होनी थी, यह कार्यक्रम 2 घंटे का था लेकिन हजारों की संख्या में उन्हें देखने पहुंचे मदरसा छात्रों को नियंत्रित करने में पुलिस अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी।कार्यक्रम के दौरान न तो गार्ड ऑफ ऑनर हो पाया और न ही उनकी स्पीच हो सकी। हालांकि, उन्होंने मोहतमिम मौलाना अब्दुल कासिम बनारसी से शिक्षा ग्रहण की और उन्हें अपना उस्ताद मानकर उनका माथा चूमा। दारुल उलूम ने अफगान विदेश मंत्री को मानद उपाधि से भी सम्मानित किया। इसके बाद उन्हें लाइब्रेरी से मेहमान खाने तक ले जाने में प्रशासनिक अधिकारियों को काफी परेशानी हुई। मेहमान खाने में भोजन करने के बाद, दोपहर लगभग ढाई बजे अफगान विदेश मंत्री अपने काफिले के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए। उनकी सकुशल रवानगी के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने राहत की सांस ली।
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