ग्लोकल विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के द्वारा जनजातीय गौरव पखवाड़ा पर पडकौली वन गुर्जर डेरा पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-ग्लोकल विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर शोभा त्रिपाठी के संयोजन में राष्ट्रीय सेवा योजना के छात्रों द्वारा जनजातीय गौरव पखवाड़ा के आज अंतिम दिवस छात्रों की टीम पडकौली बन गुर्जर डेरा में गई। जहां पर उन्होंने वन गुर्जरों की जीवन शैली, उनकी सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक युग में उनकी समस्याओं पर गहन अध्ययन किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी श्री शाबान चौधरी थे तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में डायल 112 के सब इंस्पेक्टर श्री अमित कुमार यादव तथा सुमित उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता के रूप में श्री बिलाल अहमद, असिस्टेंट प्रोफेसर एग्रीकल्चर विभाग की उपस्थिति रही।
शाबान चौधरी ने अपने वक्तव्य में कहा की वन गुर्जरों से जुड़ी समस्याओं को समझने और उन्हें दूर करने के लिए सरकार प्रयत्नशील है। अमित कुमार यादव ने कहा की पुलिस और प्रशासन सदैव आपके साथ है आप कभी भी 112 पर डायल करें 5 मिनट के अंदर पुलिस आपके पास पहुंचेगी। इस अवसर पर स्त्रियों की सुरक्षा को लेकर भी उन्होंने अपने विचार अभिव्यक्त किये। मुख्य वक्ता श्री बिलाल अहमद ने कहा कि सरकार आपकी समस्याओं को सुनने के लिए आप तक पहुंच रही है परंतु आपको भी जागरूक होना पड़ेगा इसके लिए इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ स्कूली शिक्षा भी अनिवार्य है अतः आप इस विषय पर अधिक विचार करें कि आपके बच्चे स्कूल पढ़ने के लिए जाएं। वन गुर्जरों की समस्या आज भी हमारे सामाजिक-आर्थिक ढांचे की एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। सदियों से जंगलों में निवास करते आए वन गुर्जर अपनी आजीविका, पशुपालन और पारंपरिक जीवन शैली के लिए जंगलों पर निर्भर रहे हैं, परंतु वन संरक्षण कानूनों, सीमित चरागाह, बढ़ती आबादी और विकास परियोजनाओं के कारण उनके पारंपरिक अधिकार लगातार प्रभावित हो रहे हैं। डॉ शोभा त्रिपाठी ने कहा कि आधुनिकता और प्रशासनिक नीतियों की जटिलताओं के कारण न तो आप पूरी तरह मुख्यधारा में जुड़ पाए हैं और न ही अपने पारंपरिक जीवन को सुरक्षित रख पा रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और आजीविका के अभाव ने स्थिति को और कठिन बना दिया है। इसलिए आवश्यक है कि आपकी सांस्कृतिक विशेषताओं का सम्मान करते हुए, वन अधिकारों, संसाधनों और विकास योजनाओं से न्यायपूर्ण ढंग से जोड़कर एक संतुलित और स्थायी समाधान प्रदान किया जाए। इस अवसर पर वन गुर्जर के प्रतिनिधि नूर जमाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमें पुनर्वास की आवश्यकता है जंगल जंगल भटकते रहने से हमारी जिंदगी व्यवस्थित नहीं हो पाती और सरकार हमें पुनर्वासित करने की पहल करें तो हमारे भी बच्चों का जीवन सुखद होगा। उन्होंने अपना परंपरागत गीत बहुत ही मधुर स्वर में गाया , जिसे सुनकर सभी भाव विभोर हो उठे। विश्वविद्यालय की छात्रा सलमा ने वन गुर्जरों की समस्या रखी और उनकी भाषा में एक गीत भी प्रस्तुत किया। छात्र मुदस्सिर ने उनको शिक्षा के प्रति जागृत करते हुए अपना वक्तव्य दिया और कुछ शेर सुनाएं। छात्र अहकाम पिछले कई वर्षों से गुर्जरों की समस्या पर कार्य कर रहे हैं उन्होंने उनकी जिंदगी की कठिनाइयों को बताया और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी बातों को सरकार तक पहुंचाने में राष्ट्रीय सेवा योजना सहायक सिद्ध होगी। इस अवसर पर छात्र सोहेल, सूरज ,अंशु, सचिन, अभिषेक ,मुस्तहाब, आमिर आदि ने घर-घर जाकर उनकी संस्कृति का अध्ययन किया। छात्रा गजाला ने स्वच्छता पर जीत गाया। इस कैंप में कुल 130 छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।

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