अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर जागरूक महिला संस्था परचम ने किया सेमिनार का आयोजन
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर जागरूक महिला संस्था परचम द्वारा अंतरराष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पर एक सेमिनार का आयोजन सर सैय्यद मेमोरियल इंटर कालेज में किया गया
सेमिनार में बोलते हुए सरदार रंजीत सिंह प्रेमी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 18 दिसंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है, ताकि राष्ट्रीय, जातीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और उन्हें बिना किसी भेदभाव के अपनी संस्कृति, धर्म और भाषा को अपनाने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1992 में अपनाए गए घोषणापत्र को याद किया जा सके, जिसका उद्देश्य समाज में समानता और समावेश को बढ़ावा देना है। विशिष्ट अतिथि प्रीस्ट इंचार्ज सेंट थॉमस चर्च संजय एबल सिंह ने कहा कि यह दिन अल्पसंख्यकों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता पैदा करता है और उनके सशक्तिकरण और समाज में पूर्ण भागीदारी पर जोर देता है। यह भारत जैसे देशों में अल्पसंख्यकों को दिए गए संवैधानिक सुरक्षा उपायों पर विचार करने का अवसर है। अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों, उनके सम्मान और राष्ट्र निर्माण में उनके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है । विशिष्ट अतिथि पूर्व जिला सूचना आयुक्त सुल्तान सिंह ने कहा कि यह दिन याद दिलाता है कि भारतीय संविधान सभी नागरिकों के लिए मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है और समानता को बढ़ावा देता है और अल्पसंख्यक समुदायों को भेदभाव से बचाता है । विपिन जैन सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि अल्पसंख्यक अधिकार दिवस पहली बार 18 दिसंबर 2013 को भारत में मनाया गया जिसमें हर नागरिक को अपनी भाषा लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है । मुसलमान ईसाई सिख बौद्ध पारसी जैन को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया है। 1992 में अल्पसंख्यक आयोग भी बनाया गया। भारत की विशिष्टता इसकी विविधता है।कार्यक्रम संयोजिका डॉक्टर कुदसिया अंजुम ने कहा कि भारत के संविधान में अल्पसंख्यको को शिक्षा का अधिकार आर्थिक सशक्तिकरण समानता का अधिकार कानून के तहत सुरक्षा और संरक्षण और समान अवसर दिए गए हैं। महिलाओं के लिए विशेष क़ानून बनाए गए हैं अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक योजनाएं अल्पसंख्यकों के लिए चलाई जा रही हैं। परंतु लड़कियों के लिए और अधिक स्कॉलरशिप दिए जाने चाहिए।डॉक्टर शाहिद ज़ुबैरी ने अनुच्छेद 29 और 30 का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए बताया कि इसमें अल्पसंख्यकों के लिए बहुत सारे अधिकार दिए गए हैं।अध्यक्षता करते हुए मैनेजर सर सैय्यद मेमोरियल इंटर कॉलेज के प्रबंधक अफजल खान ने कहा कि समग्र भारत का विकास तभी होगा जब देश के सारे वर्गों का विकास हो। अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। समाज में समानता और समावेश को सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जाता है। भाई जगता जी गुरुद्वारा के प्रबंधक भाई वीर सिंह जी ने कहा कि यह दिन भारत जैसे देशों में अल्पसंख्यकों को दिए गए संवैधानिक सुरक्षा उपायों पर विचार करने का अवसर है। संक्षेप में, यह दिन अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों, उनके सम्मान और राष्ट्र निर्माण में उनके महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करने के लिए मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त पवन राणा, मेवा लाल जी ने भी विचार रखे फरजाना शेख ,सीमा ज़हूर साजदा व बुशरा यासमीन सिद्दीकी, गुलशन खान का विशेष सहयोग रहा।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्टाफ व छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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