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गीता, ग़ज़ल और गुफ़्तगू के संग हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल का समापन

गीता, ग़ज़ल और गुफ़्तगू के संग हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल का समापन

रिपोर्ट श्रवण झा

हरिद्वार-हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल का समापन साहित्य और शायरी से सजे एक यादगार सत्र के साथ संपन्न हो गया।फेस्टिवल का अंतिम सत्र पद्मश्री सम्मानित शायर नीम काफ़ निज़ाम से गुफ़्तगू पर केंद्रित रहा।

नीम काफ़ निज़ाम ने कहा ज़बान का कोई महजब नहीं होता है गंगा जमुनी संस्कृति हमारी सबसे बड़ी ताकत है।उन्होंने कहा कि भटकना शायर का मुकद्दर है वेद और शेश्र दोनो के एक ही अर्थ हैं।संवाद सत्र के दौरान शायर अम्बर खरबंदा,दिलदार देहलवी और ए.एस.कुशवाह ने अपनेचुनिंदा शेर पढ़कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।सत्र का संचालन प्रो.समीना खान ने किया।फेस्टिवल का समापन समारोह आयोजित किया गया।समापन समारोह में फेस्टिवल निदेशक प्रो.श्रवण कुमार शर्मा ने प्रतिभागियों,साहित्यकारों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।अन्त प्रवाह सोसायटी के सचिव संजय हांडा ने कहा कि अन्तप्रवाह सोसायटी का उद्देश्य साहित्य को आम जनमानस तक पहुंचाना है।उन्होंने सभी प्रतिभागियों के प्रति ज्ञापित की।इस अवसर पर डॉ.करुणा शर्मा,डॉ.निधि हांडा,डॉ.निशांत,डॉ.मुकेश गुप्ता,डॉ.रीना वर्मा,मुदित शर्मा,डॉ.राम मोहन पांडे सहित अनेक प्रतिभागी उपस्थित रहे।

बच्चों को गीता के जीवन-मूल्य समझाए

हरिद्वार-लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन जिओ गीता के तत्वावधान में स्वामी ज्ञानानंद महाराज का गीता पर आधारित विशेष संवाद सत्र आयोजित किया गया।स्कूली बच्चों के लिए आयोजित इस सत्र में उन्होंने बताया कि गीता का मूल संदेश कर्तव्यबोध जागृत करना है,जो साधारण व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाता है।स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने महाभारत के प्रसंगों के माध्यम से कुसंग और अन्याय पर मौन रहने के दुष्परिणामों को समझाया तथा निष्पक्षता और निडरता को अच्छे व्यक्तित्व का आधार बताया।उन्होंने कहा कि भविष्य की अनावश्यक चिंताएँ वर्तमान को नष्ट करती हैं,जबकि गीता वर्तमान में जीकर अपने कर्तव्यों पर केंद्रित रहने की प्रेरणा देती है।सत्र की सूत्रधार डॉ.राधिका नागरथ रहीं।इस सत्र डॉ.मार्कंडेय आहूजा ने मॉडरेटर की भूमिका निभाई।

युवा रचनाकारों ने साझा की रचना यात्रा

फेस्टिवल के तीसरे दिन नवोदित युवा रचनाकारों पर केंद्रित विशेष संवाद सत्र आयोजित हुआ।इसमें वृंदा वाणी,सेजत बाली,आरोही शर्मा और सीरत अरोरा ने अपनी रचनात्मक प्रक्रिया साझा की।वक्ताओं ने लेखन को नई दृष्टि,आत्म-अभिव्यक्ति,आत्म-खोज और जीवन को अर्थ देने वाला माध्यम बताया।गद्य लेखन पर श्वेता कौशल ने पारिवारिक सहयोग की भूमिका रेखांकित की। वहीं अनन्या गोयल ने अपनी पुस्तक द आनन्दा आईसलैंड पर चर्चा करते हुए रहस्यमयी,साइंस फिक्शन और पर्यावरणीय विषयों में रुचि बताई। काव्य सहगल, सावी सिंह और रेवा भट्ट ने भी अनुभव साझा किए।सत्र का संयुक्त संचालन डॉ.भारती शर्मा और डॉ.आशिमा श्रवण ने किया,जबकि सूत्रधार की भूमिका डॉ.हरिओम रावत और डॉ. रजनी सिंहल ने निभाई।

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