धार्मिक उन्माद के खिलाफ सहारनपुर में शांति मार्च, वसुधैव कुटुम्बकम् के संदेश के साथ मौन व्रत आयोजित
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर - जनपद में एक ऐतिहासिक शांति मार्च आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य धर्म के नाम पर हो रहे आतंकवाद और हिंसा का कड़ा विरोध करना था। मार्च में विभिन्न धर्मों,हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि के शिक्षित और जागरूक नागरिकों ने एकजुट होकर हिस्सा लिया और भाईचारे एवं इंसानियत के मूल्यों को प्रकट किया।
इस अवसर पर डॉ असलम ने जोर देकर कहा कि इस्लाम, जिसे दीन-ए-कय्यिम अथवा सनातन धर्म भी कहा जाता है, में आतंकवाद, अचानक हमला, लोगों का अपहरण या गुरिल्ला युद्ध जैसी किसी भी हिंसक गतिविधि की कोई अनुमति नहीं है। ऐसे कार्य करने वालों की इबादत— नमाज़, रोज़ा, हज — सब व्यर्थ हो जाती है, और अल्लाह उनकी कोई प्रार्थना स्वीकार नहीं करता।* *दुर्भाग्यवश, आज कुछ तथाकथित मुस्लिमों द्वारा इन बुराइयों को अंजाम दिया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दुनिया भर में अपमान और तिरस्कार का सामना करना पड़ रहा है।पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले को मानवता पर एक गहरा धब्बा बताते हुए, सभी उपस्थित जनों ने इस कायराना कृत्य की कड़ी निंदा की। साथ ही, भारत को "वसुधैव कुटुम्बकम्" — अर्थात् "पूरा विश्व एक परिवार है" के सिद्धांत पर चलते हुए विश्व शांति का मार्गदर्शक बनाने के संकल्प के साथ मौन व्रत भी रखा गया।यह आयोजन सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसाइटी के अंतर्गत किया गया। न केवल आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बना, बल्कि सहिष्णुता, आपसी प्रेम और शांति के संदेश को भी पूरे समाज में फैलाने का एक मजबूत प्रयास साबित हुआ। आयोजकों ने अपील की कि सभी धर्मों के लोग मिलकर नफरत के विरुद्ध आवाज उठाएं और प्रेम, करुणा तथा इंसानियत के मार्ग पर आगे बढ़ें।
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