हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व करबला के 72शहीदो की याद मे निकाला मातमी जुलूस।
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर-हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व करबला के 72 शहीदो की याद मे अरबईन (चेहलूम) का मातमी जुलूस परम्परागत तरीके से नगर के मुख्य बाज़ारो मे निकाला गया मौहल्ला अन्सारियान स्थित जनाना इमामबाड़ा हाजी सादिक हुसैन की इमाम बारगाह से अकीदत मंदो ने ज़ुलजना निकाल कर छोटी इमाम बारगाह अन्सारियान तक जाने के बाद जुलूस मे 18 शहीद बनी हाशिम (औलादे अबूतालिब अलैहिस्सलाम यानि हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के घर वाले ) हज़रत अब्दुल्ला अलैहिस्सलाम, हज़रत मुहम्मद अलैहिस्सलाम हज़रत जाफर अलैहिस्सलाम, हज़रत अब्दुर्रहमान अलैहिस्सलाम, हज़रत मुहम्मद अलैहिस्सलाम, हज़रत मुहम्मद अलैहिस्सलाम, हज़रत औन अलैहिस्सलाम हज़रत क़ासिम अलैहिस्सलाम, हज़रत अबूबकर अलैहिस्सलाम, हज़रत मुहम्मद अलैहिस्सलाम, हज़रत अब्दुल्लाह अलैहिस्सलाम, हज़रत उसमान अलैहिस्सलाम, हज़रत जाफर अलैहिस्सलाम, हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम, हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम, हज़रत अब्दुल्लाह अलैहिस्सलाम, हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम, हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के शबीह ताबूत, गहवाराए अली असगर, व जनाबे जैनब स0अ0 की अमारी निकाली गयी।
इस मौके पर खतीबे अहलैबैत अज़हर हसन काजमी ने निकाली गयी ज़ियारतो का ताअरूफ (परिचय) दिया उन्होने अपनी तकरीर मे बताया कि रसूले खुदा स0अ0अ0स0 की नज़र मे अहलेबैअत का क्या मरतबा था तफसील से ब्यान किया गया और उन्होने बताया कि यह शबीह ताबूत रसूले खुदा स0अ0अ0स0 के घराने के है जिन्हे करबला के मैदान मे हक के लिए शहादत दी। जुलूस मे अकीदत मंदो ने भारी तादाद मे जंजीरो मे बंघी छुरियो, कमाह, व हाथ से अपने शरीर पर मातम किया, हज़्ारत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व 72 शहीदो का गम उनके दिलो दिमाग पर छाया हुआ था। सभी ग़मजदा लोगो ने काले कपडे पहन रखे थे तथा नंगे पैर,गरेबान चाक,मातम करते हुए चल रहे थे। सभी अकीदत मंद या हुसैन,या अली, या अब्बास, हाय सकीना हाय प्यास की आवाजे़ बुलंद कर रहे थे। जुलूस छोटी इमाम बारगाह से शुरू होकर मौहल्ला मुत्रीबान,नखासा बाजार,खानी बाग, फारूख की मस्जिद नया बाज़ार, जामा मस्जिद कला पुल सबजी मंडी से होता हुआ मौहल्ला जाफर नवाज स्थित बडा इमाम बारगाह पहुच कर सम्पन्न हुआ। जुलूस मे सबसे आगे ऊट, घोडे बेलगाडिया, आदि पर बैठे छोटे छोटे बच्चे काले कपडे पहने हाय सकीना हाय प्यास, चमन चमन कली कली अली अली अली अली, नाराए तकबीर अल्लाहो अकबर, हुसैनियत ज़िदाबाद यज़ीदयत मुर्दाबाद आदि के नारे बोल रहे थे बच्चो के हाथे मे काले निशान लिए हुए चल रहे थे। जुलूस के बीच में शबीह अलम हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम को मुनव्वर आब्दी लेकर चल रहे थे। अलम के पीछे अन्जुमने अकबरिया व अन्जुमने इमामिया चल रही थी। अन्जुमने इमामिया में नौहा पढने वालो में सलीस हैदर काज़मी, मिर्ज़ा मेहरबान पंजेतन, मिर्ज़ा माहिर पजेतन, आसिफ रज़ा, तौसिक़ मैहदी, अली मैहदी, शहबाज़ काज़मी, शौज़ब रज़ा, आदि रहेः-
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