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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महापुरुष योगीराज श्रीकृष्ण के चरित्र से शिक्षा लेने का पर्व है--डॉ.भावुक

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महापुरुष योगीराज श्रीकृष्ण के चरित्र से शिक्षा लेने का पर्व है--डॉ.भावुक

रिपोर्ट धर्मेंद्र अनमोल/ सुहैल खान

गंगोह-आर्य राष्ट्र चिन्तक डॉ. वीरसिंह भावुक ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अपने पूर्वज महापुरुष योगीराज श्रीकृष्ण के चरित्र से शिक्षा लेने का पर्व है।

आर्य समाज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर सामूहिक यज्ञ-हवन किया गया। इस अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा के जिला मीडिया प्रभारी व तहसील नकुड मन्त्री डॉ. वीरसिंह भावुक ने सारगर्भित संदेशात्मक  विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे पूर्वज श्रीकृष्ण महान योगी थे जिन्होंने सर्वशक्तिमान ईश्वर की महत्ता को जाना था जो सौलह कलाओं के ज्ञाता, वेदों के प्रकांड विद्वान एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। वें 16100 वेद की ऋचाएं जानते थे जिनको अलंकारिक रूप में 16100 गोपिकाएं अथवा रानियाँ कहा जाता है। वह 16108 विद्याओं को भी जानते थे और प्रात-सायंकाल नित्य यज्ञ-हवन किया करते थे जिससे उन्होंने हृदय और विचारों की तरंगों के ऊपर अन्वेषण किया। रुक्मणी नाम की उनकी एकमात्र पत्नी थी जिससे विवाह के बाद 12 वर्ष तप करके उन्होंने एकमात्र प्रद्युम्न नामक पुत्र को जन्म दिया और बाद में आजीवन ब्रह्मचारी रहे। डॉ.भावुक ने अपने पूर्वज महापुरूष योगीराज श्रीकृष्ण की शिक्षाओं पर चलने का आह्वान करते हुए कहा कि उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक है जो समाज को जीवन जीने का आदर्श मार्ग दिखाती हैं जिससे उनके  सच्चे चरित्र को पढ़ें और उसके अनुसार ही चलें। संजय आर्य ने भी प्रेरक भजन प्रस्तुत किया।कार्यक्रम में आर्य प्रतिनिधि सभा जिला मीडिया प्रभारी व तहसील नकुड मंत्री डा. वीरसिंह भावुक, आर्य समाज प्रधान देवेन्द्र कुमार आर्य, कॉलेज प्रबंधक शिवचरण आर्य, शेखर आर्य, अमित आर्य, अनिल आर्य, रमेश आर्य, रणवीर आर्य, सुनील आर्य, मुल्कीराज आर्य, फूलसिंह आर्य प्रेमसिंह आर्य आदि उपस्थित रहे।

                   

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