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गुरु गद्दी ऊन में धूमधाम से मनाई गई स्वामी ज्ञान भिक्षुक दास महाराज की जयंती

गुरु गद्दी ऊन में धूमधाम से मनाई गई स्वामी ज्ञान भिक्षुक दास महाराज की जयंती

प्रेम व विश्वास के साथ संस्कारवान बन सच्चाई की राह पर चले समाज-आचार्य कंवरपाल ब्रह्मचारी

भारत संतों की पावन भूमि, महापुरुषों के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेकर शिक्षित हो-इकरा हसन

रिपोर्ट एसडी गौतम

शामली-अखिल भारतीय संत शिरोमणि सतगुरु रविदास मिशन रजि. के तत्वाधान में संस्थापक सतगुरु स्वामी समनदास जी महाराज के पूज्य गुरुदेव स्वामी ज्ञान भिक्षुक दास जी महाराज की 173वीं जयंती के अवसर पर चेतन समाधी स्थल गुरु गद्दी ऊन में महान संत समागम धूमधाम से आयोजित किया गया। सत्संग का शुभारंभ संत शिरोमणि सतगुरु रविदास जी महाराज, सिद्धपीठ स्वामी ज्ञानभिक्षुक मंदिर व सतगुरु स्वामी समनदास जी महाराज के चरणों में गुरुपूजा अर्पित कर आरती वंदना से किया गया।

संत समागम में उमड़ी अनुयायियों की भारी भीड़ को निहाल करते हुए गुरु गद्दी ऊन के महंत आचार्य संत कंवरपाल ब्रह्मचारी जी महाराज ने गुरु परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सत्संग जीवन को नया आयाम देकर जीवन में बदलाव लाता है जिसमें प्रेम का होना अतिआवश्यक है प्रेम के लिए आपस में मिलजुलकर बैठने से नाराजगी दूर और परमात्मा का आभास होता है क्योंकि जहां प्रेम है वहीं परमात्मा का रूप होता है और जीवन में एक दूसरे के प्रति विश्वास और प्रेम होना अतिआवश्यक है इसलिए संगत की रंगत होने से मन का मैल धुलता है और भक्ति भाव से होती हैं जोकि संतो की संगत से उत्पन्न होती है। जीवन में अहम व वहम दोनों नुकसानदायक होते है क्योंकि झूठ का पुलिंदा ज्यादा देर तक नहीं टिकता है इसलिए समय रहते सुधार करना चाहिए और मन की चंचलता पर कंट्रोल करना चाहिए उन्होंने सेवा सुमिरन करते हुए गंदे खान पीन व बुरे व्यसनों से बचकर शिक्षित होकर सच्चाई की राह पर संस्कारवान बनकर चलने की बात कही।
लोकसभा कैराना की सांसद सुश्री इकरा हसन ने संत समागम में विचार रखते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे संतो के दरबार में सेवा देने और संगत का दीदार करने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि संत समागम एक धार्मिक कार्यक्रम है और इन कार्यक्रमों का राजनीतीकरण नहीं होना चाहिए परन्तु जातिवादी मानसिकता के कारण चंद मुट्ठीभर लोग बहुजन समाज के संतो महापुरुषों की विचारधारा के प्रचार में अड़चन पैदाकर अपनी घटिया मानसिकता का प्रदर्शन करते है। लेकिन याद रखना चाहिए कि यह भारत देश संत शिरोमणि सतगुरु रविदास जी महाराज जैसे संतो की पावन भूमि है जिनके संदेश मानवता के लिए आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने सभी से बाबासाहब डॉ. भीमराव अंबेडकर व अन्य महापुरुषों के जीवन संघर्ष से सीख लेकर समाज को अधिक से अधिक उच्च शिक्षित होने की बात कही। 
कार्यक्रम में आसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी विचार रखते हुए समाज को शासक बनने और महापुरुषों के विचारों पर चलने की बात कही। कार्यक्रम में समाजसेवी डॉ. बृजपाल सिंह जगरौली, बसपा नेता सुनील जाटव, थानाभवन चेयरमैन राव जमशेद, ब्लॉक प्रमुख पुरकाजी मालती देवी, धनप्रकाश, महात्मा गुरुमुख दास ब्रह्मचारी, संत खुशीदास, महा. बबलू दास, महा. कृष्णदास, महा. बेगराज दास व महा. गुलाब दास ने भी विचार रखे। संत समागम में अतिथियों व गणमान्य लोगों को गुरुजी की प्रतिमा देकर सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन महात्मा श्रद्धादास हथनीकुंड, गुरुचरण कटारिया व एसडी गौतम पत्रकार ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान पूर्व एसडीएम नंदलाल, एसपी चमार, चेयरमैन प्रदीप चौधरी, जिलाध्यक्ष प्रभात अनुज भारती, महा. परमदास, महा. जगतदास, महा. मिंटूदास, महा. तारादास, महा. सतीश दास, नितराम, दिनेश कुमार ऋषिराज, सचिन तोमर पत्रकार, रविकुमार, नीटू रविदासिया, शौकेंद्र, परविंदर धारिया, अनिल रावण, आदेश नेहरा, अजय गौतम, रामपाल दास, विनोद दास, चंद्रदास, मास्टर विपिन कुमार, अजय पालीवाल, रोहताश, कुलविंद्र, अलका, सोनिया क्लासानिया व दिल्ली व सहारनपुर महिला मंडल समेत लाखों अनुयाई समेत सुरक्षा की दृष्टि से भारी पुलिसबल भी मौजूद रहा।

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अनुशासन, समर्पण और ईमानदारी को हमेशा रखे बरकरार-आषीश तिवारी