Ticker

6/recent/ticker-posts

स्ट्रोक के मरीजों के लिए हर मिनट महत्वपूर्ण-डॉक्टर संजीव मिगलानी

स्ट्रोक के मरीजों के लिए हर मिनट महत्वपूर्ण-डॉक्टर संजीव मिगलानी

स्ट्रोक के शुरुआती 4 से 5 घंटे महत्वपूर्ण, फौरन सिटी या एमआरआई कराकरअपने डॉक्टर से मिले- डाँ  मिगलानी

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर-विश्व पैरालाइसिस दिवस (World Paralysis Day) हर साल आज के दिन 29 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों में लकवे (Paralysis) और उससे जुड़ी बीमारियों, जैसे स्ट्रोक, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी आदि के प्रति जागरूकता फैलाना है। इसका मुख्य संदेश है डॉक्टर, अस्पताल और सामाजिक संस्थाएँ इस दिन जागरूकता अभियान, सेमिनार और फ्री हेल्थ चेकअप कैंप आयोजित करते हैं।

इसी कड़ी में दयावती हॉस्पिटल में जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें डॉ संजीव मिगलानी ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि पैरालाइसिस (Paralysis) या लकवा एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के किसी भाग की मांसपेशियाँ काम करना बंद कर देती हैं। व्यक्ति उस हिस्से को हिलाने-डुलाने की क्षमता खो देता है। यह स्थिति अस्थायी (कुछ समय के लिए) या स्थायी (जीवनभर के लिए) हो सकती है।पैरालाइसिस के प्रमुख लक्षण शरीर के एक भाग में अचानक कमजोरी या सुन्नपन आना।, चेहरे का टेढ़ा हो जाना, बोलने या शब्दों को स्पष्ट रूप से कहने में कठिनाई। हाथ या पैर हिलाने में असमर्थता,संतुलन बिगड़ना या चलने में कठिनाई। दृष्टि धुंधली होना या एक आँख से दिखाई न देना।,सिरदर्द, चक्कर आना या बेहोशी की स्थिति होती है वही स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नैना मिगलानी ने कहा कि गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब महिला का शरीर कई प्रकार के शारीरिक और हार्मोनल बदलावों से गुजरता है। इस दौरान किसी भी गंभीर बीमारी का खतरा सामान्य से अधिक होता है। इन्हीं में से एक गंभीर स्थिति है पैरालाइसिस (लकवा)। हालांकि यह स्थिति बहुत कम होती है, लेकिन अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।गर्भावस्था में पैरालाइसिस का खतरा भले ही कम हो, लेकिन सावधानी, संतुलित जीवनशैली और नियमित जांच से इस स्थिति से बचा जा सकता है। याद रखें थोड़ी सी जागरूकता माँ और बच्चे दोनों की सुरक्षा की गारंटी है।”

पैरालाइसिस के प्रमुख कारण

स्ट्रोक (Stroke): मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह रुक जाने या फट जाने से लकवा हो सकता है।,मस्तिष्क की चोट: सिर पर गंभीर चोट लगने से नसों को नुकसान पहुँच सकता है।, रीढ़ की हड्डी की चोट: स्पाइनल कॉर्ड के क्षतिग्रस्त होने से शरीर के निचले हिस्से में लकवा हो सकता है।,न्यूरोलॉजिकल बीमारियाँ: जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस, गिलेन-बर्रे सिंड्रोम आदि।,संक्रमण: मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र में संक्रमण होने पर भी लकवा हो सकता है।, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज: इनकी अनदेखी करने पर स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

उपचार एवं सावधानियाँ

 तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें: लकवा का पहला हमला पड़ते ही समय न गँवाएँ, यह “गोल्डन ऑवर” कहलाता है — समय रहते इलाज से बचाव संभव है।  डॉक्टर रक्त प्रवाह सुधारने, नसों की सूजन कम करने और मस्तिष्क की सुरक्षा हेतु दवाएँ देते हैं।नियमित व्यायाम और फिजियोथेरेपी से शरीर का जकड़न कम होता है और मांसपेशियाँ फिर से सक्रिय हो सकती हैं। बोलने या निगलने में कठिनाई होने पर यह बहुत लाभदायक होती है।

 स्वस्थ जीवनशैली

नमक और तेल का सेवन कम करें।धूम्रपान और शराब से बचें।तनाव नियंत्रित रखें और नियमित व्यायाम करें।रक्तचाप और शुगर का स्तर सामान्य रखें। पैरालाइसिस एक गंभीर लेकिन नियंत्रित की जा सकने वाली स्थिति है। समय पर पहचान और उपचार से व्यक्ति फिर से सामान्य जीवन जी सकता है। स्वस्थ भोजन, नियमित जांच और सावधानी ही इसका सबसे अच्छा बचाव है।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

ग्लोकल विश्वविद्यालय में मिशन शक्ति 5.0 के अंतर्गत व्याख्यान आयोजित