सुदीप्तम 2025 आयुष ग्लोबल कॉन्क्लेव का द्वितीय दिवस का हुआ सफलतापूर्वक सम्पन्न
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर- ग्लोकल यूनिवर्सिटी में आयोजित तीन दिवसीय “सुदीप्तम 2025 – आयुष ग्लोबल कॉन्क्लेव” के दूसरे दिन का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। दीप प्रज्वलन प्रो. (डॉ.) जॉन फिनबे (माननीय कुलपति), डॉ. अनुप कुमार (प्राचार्य इंचार्ज), डॉ. पी. गौरीशंकर (जनरल कन्वीनर), डॉ. आरती, डॉ. रिया तथा डॉ. पूनम, द्वारा संयुक्त रूप से संपन्न किया गया।
दूसरे दिन के सत्रों में आयुर्वेदिक क्लिनिकल प्रैक्टिस, नेत्र चिकित्सा, रेडियोलॉजिकल जांच, बाल चिकित्सा एवं स्त्री रोगों में आयुर्वेदिक निदान और प्रबंधन जैसे विविध विषयों पर गहन विमर्श हुआ। प्रथम सत्र में डॉ. शिबु वर्गीज़ ने “Biochemical Investigations in Ayurvedic Clinical Practice” विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि कैसे आधुनिक जैवरासायनिक परीक्षणों को आयुर्वेदिक चिकित्सा की दृष्टि से उपयोगी बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे समन्वित दृष्टिकोण से रोग-निदान और उपचार की सटीकता में वृद्धि संभव है।दूसरे सत्र में डॉ. शैरन पी. वल्स ने “Netra Raksha Vidhi: Ayurvedic Eye Care for a Brighter Tomorrow” विषय पर विचार प्रस्तुत करते हुए नेत्र स्वास्थ्य संरक्षण की आयुर्वेदिक विधियों, औषधियों और जीवनशैली पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने आयुर्वेदिक नेत्र चिकित्सा की आधुनिक प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला।तृतीय सत्र में पुनः डॉ. शिबु वर्गीज़ ने “Radiological Investigations of Spinal Disorders and their Panchakarma Management” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने मेरुदंड संबंधी विकारों में रेडियोलॉजिकल जांचों और पंचकर्म चिकित्सा के संयुक्त उपयोग को रोगी-केंद्रित उपचार के लिए एक प्रभावी पद्धति बताया।चतुर्थ सत्र में दो उप-विषय सम्मिलित थे। डॉ. आरती कमथ ने “Bala Panchakarma and Rasayana in Developmental Care in Children” पर व्याख्यान देते हुए बाल्यावस्था में पंचकर्म और रसायन चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बालकों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास में रसायन चिकित्सा की प्रमुख भूमिका है। इसके पश्चात् डॉ. निथ्या के ने “Diagnostic Approach and Ayurvedic Management in Abnormal Vaginal Discharges” विषय पर प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने स्त्री रोगों के निदान और उपचार में आयुर्वेदिक सिद्धांतों की वैज्ञानिक व्याख्या की।दूसरे दिन के सभी सत्र अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायी रहे। उपस्थित अध्यापकगण, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने वक्ताओं से संवाद करते हुए अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। पूरे दिन का वातावरण उत्साह, विद्वत्ता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण रहा।“सुदीप्तम 2025” के इस दूसरे दिन ने यह सशक्त संदेश दिया कि आयुर्वेद केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक विकसित विज्ञान है, जो आधुनिक चिकित्सा के साथ तालमेल रखते हुए मानवता के कल्याण के लिए नए आयाम प्रस्तुत कर रहा है।
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