अटल बिहारी वाजपेयी भारत की राजनीति के अजातशत्रु थे-श्री चंद शर्मा
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर:-सेठ गंगा प्रसाद माहेश्वरी सभागार में आयोजित अटल स्मृति सम्मेलन को संबोधित करते हुए एमएलसी श्रीचंद शर्मा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारत की राजनीति के अजातशत्रु थे। उन्होंने कहा कि अटल जी ने सदैव राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा और कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
एमएलसी श्रीचंद शर्मा ने कहा कि वर्ष 1977 में विदेश मंत्री बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को पहली बार हिंदी में संबोधित कर देश का मान बढ़ाया। वर्ष 1984 में मात्र दो सांसद होने के बावजूद उन्होंने संगठन को सशक्त बनाने का कार्य जारी रखा, जिसका परिणाम उनके नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनने के रूप में सामने आया।उन्होंने कहा कि अटल जी ने देश की संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करते हुए पोखरण परमाणु परीक्षण कराए। उनके व्यक्तित्व का ही प्रभाव था कि नरसिम्हा राव सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के जिनेवा सम्मेलन में भारत का पक्ष रखने के लिए उनसे अनुरोध किया, जिसे उन्होंने यह कहते हुए स्वीकार किया कि राष्ट्र सबसे पहले है। जिनेवा सम्मेलन में पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर लाए गए प्रस्ताव को उन्होंने मजबूती से धराशायी कर दिया।एमएलसी श्रीचंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने देश में मोबाइल क्रांति की नींव रखी और इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की शुरुआत की, जिसे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़ा रहे हैं। किसान क्रेडिट कार्ड योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बड़ी संख्या में आवासों का निर्माण अटल सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियां रहीं, जिससे देश विकास की नई राह पर आगे बढ़ा।उन्होंने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी सच्चे अर्थों में विकास पुरुष थे। उन्होंने एक वोट से सरकार गिरने के बावजूद अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया, जबकि वे चाहें तो बहुमत का प्रबंध कर सकते थे।सम्मेलन को महापौर डॉ. अजय सिंह, विधायक राजीव गुम्बर, महानगर अध्यक्ष शीतल विश्नोई, पूर्व महापौर संजीव वालिया, के.एल. अरोड़ा, हेमंत अरोड़ा, राकेश जैन, सुरेंद्र शर्मा, योग चुघ, किशोर शर्मा, विनोद चोजड़, अनेश शर्मा, गोकर्ण दत्त शर्मा एवं सुनील गुप्ता ने भी संबोधित किया
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