अल्लाह अपने बंदे की दुआएं कुबूल कर उसकी मगफिरत फरमाता-बाबा सुल्तान मस्तान
सहारनपुर-दिनभर रोजा रखकर परेशानी उठाने के बाद शाम को जब इफ्तार का वक्त नजदीक आता है तब भी बंदा सिर्फ अल्लाह से लो लगता है और दुआएं तलब करता है तो अल्लाह खुश होता है। रोजेदार बंदा रोजे की हालत में जब इफ्तार के वक्त दुआएं मांगता है तो अल्लाह अपने बंदे की दुआएं कुबूल कर उसकी मगफिरत फरमाता है
उक्त विचार छुटमलपुर रोड़ स्तिथ एक सभागार में बेंगलुरु से आये दरवेश हज़रत सूफी सुल्तान बाबा मस्तान ने कही। बाबा मस्तान ने 30,40 वर्षों से फकीरी अपना कर अल्लाह की राह में निकल गए। इस अवसर पर दानिश सिद्दीकी महासचिव ऊर्दू तालीमी बोर्ड व हक़ीम तालिब वरिष्ठ समाजसेवी ने बाबा सुल्तान मस्तान को बुके देकर उनका आभार प्रकट किया। बाबा मस्तान दरगाह साबिर पाक कलियर शरीफ होते हुए छुटमलपुर पोहचे। और कहा कि इस्लाम से भटके हुए लोगों को एक पैगाम दिया कि वह नमाज पढ़ें और अपने बुजुर्गों की खिदमत करें। मुल्क में सूफी-संतों की शिक्षा को प्रचारित करने की जरूरत है। फिरकापरस्त इंसान के लिए मजहब में कोई जगह ही नहीं होता, इस्लाम आपसी भाईचारे पर बल देता है। क़ुरआन के बकौल मजहब में कोई झगड़ा ही नहीं. कहता है, तुम्हारा धर्म तुम्हारे लिए, हमारा मजहब हमारे लिए. वहीं इस्लाम बताता है कि तुमने यदि बेकसूर एक इंसान की जान ली तो इसका मतलब हुआ तुमने समूची इंसानियत का कत्ल किया है। अंत मे बाबा मस्तान ने शहर की अमनो अमान के लिए दुआ मांगी। इस दौरान हक़ीम शाहिद,मौ०आज़म,मौ०अब्बास,तंज़ीम उल हक,हक़ीम कलीम आदि मौजूद रहे।रिपोर्ट-अमान उल्ला खान
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