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मजालिस में हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम की शहादत पर रोशनी डाली गयी

मजालिस में हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम की शहादत पर रोशनी डाली गयी

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर-चौक गुलवो का बड़तला मौहल्ला अन्सारियान, पीर साहब मौहल्ला चौधरियान, चौक मौहल्ला खवाजा जादगान, में ताजिये सजाये गये।मजालिस मे सब से पहले मरसिए खानी की गयी मरसिया पढने वालो मे आसिफ अल्वी, सलीस हैदर काजमी, हमज़ा जैदी सलीम आब्दी, खुवाजा रईस अब्बास आदि रहे।पहली मजलिस इमामबाड़ा सामानियान मौहल्ला कायस्थान सहारनपुर में हुई जिसको हुज्जत-उल इस्लाम आली जनाब मौलाना डाक्टर सैय्यद फतेह मुहम्मद ज़ैदी साहब ने खिताब फरमाया।दूसरी मजलिस बडा इमामबाड़ा जाफर नवाज़ में हुई जिसको हुज्जत-उल इस्लाम आली जनाब मौलाना मिर्ज़ा जावेद साहब ने खिताब फरमाया। तीसरी मजलिस छोटा इमामबाड़ा अन्सारियान में हुई जिसको हुज्जत-उल इस्लाम आली जनाब मौलाना सैय्यद मीसम नकवी साहब ने खिताब फरमाया।

चौथी मजलिस पुराना कलसिया रोड़, सादात कालोनी स्थित मरकज़ इमाम जाफर ए सादिक अलैहिस्सलाम में मौलाना वासिफ काज़मी ने खिताब फरमाया।कर्बला के मैदान में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के काफिले का 7 मोहर्रम से पानी बन्द कर दिया गया था। इमाम हुसैप अलैहिस्सलाम के काफिले में पानी नही था सभी प्यासे थे। हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के छः माह के बेटे हज़रत अली असगर अलैहिस्सलाम पानी की प्यास से तडप रहे थे तब हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने हज़रत अली असगर अलैहिस्सलाम को अपनी गोद मे लिया और जंग के मैदान मे पहुचे और यज़ीदी लश्कर से कहा ‘हो सकता है कि मै तुम्हारी नज़र मे खतावार हॅू लेकिन इस छोटे बच्चे ने तो कोई खता नही की है इसे थोडा सा पानी पिला दो’ इसके जवाब मे यज़ीद के लश्कर की ओर से हुर्मला नाम के दरिन्दे ने तीन भाले का तीर नन्हे से बच्चे हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम की गर्दन  पर मारा। हज़रत अली असगर अलैहिस्सलाम मुस्कुराते हुआ अपने वालिद हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की गोद में शहीद हो गये। हज़रत अली असगर अलैहिस्सलाम  कर्बला के सबसे छोटे शहीद है।मजालिस के आखिर मे नौहा खानी की गयी जिसमे अन्जुमने अकबरिया, सोगवारे अन्जुमने अकबरिया व अन्जुमने इमामिया ने नौहा खानी व सीनाजनी की।चौक गुलवो का बड़तला मौहल्ला अन्सारियान, पीर साहब मौहल्ला चौधरियन, चौक मौहल्ला खवाजा जादगान, में ताजिये सजाये गये। नगर के सभी इमामाबाड़ो में शब्बेदारी करने के लिये रोशनी की गयी नौ मौहर्रम की रात में अजादार शब्बेदारी करते है। हज़रत अली असग़र अलैहिस्सलाम का झूला (पालना) वक्फ जनाना इमामबाड़ा हाजी सादिक हुसैन मारूफ हज्जन तुल्ली में जनानी मजलिस के बाद निकला गया।   

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