भारतीय शास्त्रीय संगीत की स्वलहरियों से गूंज उठा जनमंच
मेला गुघाल के कार्यक्रमों की श्रृंखला में ‘हमारी संस्कृति हमारी पहचान’ का आयोजन
रिपोर्ट अमान उल्ला खान
सहारनपुर- रविवार की रात परंपरागत भारतीय शास्त्रीय संगीत की स्वलहरियों ने जनमंच सभागार को संगीतमय रस से भर दिया। अवसर था परस्पर सौहार्द व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक श्री जाहरवीर गोगा जी महाराज की स्मृति में सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रृंखला में आयोजित ‘हमारी संस्कृति हमारी पहचान’ कार्यक्रम का।
नगर निगम द्वारा स्पिक मैके के सहयोग से जनमंच सभागार में आयोजित कार्यक्रम में ‘स्पर्श प्रयास’ के नन्हे संगीत साधको-रूद्र मोंगा ने सरोद पर राग किरवानी, कवनप्रीत सिंह ने सितार पर राग मिया की मल्हार बजाया और राग भूपाली को पूर्वा रानी ने, संतूर-शुभ, अमन्या चौधरी, टिया बजाज ने, इसराज पर शुभ ने बांसुरी, अवंतिका ,अंशिका व अथर्व ने सरोद पर रागछेड़ा तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे। दूसरी प्रस्तुति में ताल वाद्य कचहरी को दिल्ली और पुणे से आये डिवाइन ड्रम के कलाकारों ने महाभारत काल में अर्जुन द्वारा शुरु की गयी परंपरा, जिसमंे दोनों हाथ को बदल-बदल कर वाद्यों को दाये और बाये दोनों तरफ, एक ही हाथ से बजाया जाता है से आरम्भ किया। यह इस ग्रुप की मुख्य विशेषता रही। पहले शिव स्तुति,तत्पश्चात कर्नाटक संगीत एवं उत्तर भारतीय संगीत का समागम और अंत में धुन पर पखवाज ,घटम ,सारंगी ,हारमोनियम और तबले आदि वाद्यों की एकल और विभिन्न जुगलबंदियां माहौल में इंद्रदेव की संगीत सभा का आभास कराती रही। पखावज पर शुभाशीष सव्यसांची, तबले पर सिद्धि विनायक, घटम पर सौनुक बनर्जी, सारंगी पर शाहनवाज़ खान और हारमोनियम पर सहारनपुर के पंकज मल्होत्रा ने संगत की। ‘स्पर्श प्रयास’ के दो वर्ष पूर्ण होने पर 11 नन्हे साधको को ‘साधक अवार्ड’ से भी नवाज़ा गया। समाजसेवी शलभ राय,गौरव गुप्ता, व कनिष्क जोशी ने कलाकारों को पुरस्कार प्रदान किय। कार्यक्रम संयोजन में शेफाली मल्होत्रा, सुधांशु, आशुदीप सिंह, सुप्रिया, रश्मि व तरुणा का योगदान रहा।
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