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सर सैय्यद आधुनिक शिक्षा के संस्थापक और एक ऐतिहासिक शख्सियत थे -जलाल उमर

सर सैय्यद आधुनिक शिक्षा के संस्थापक और एक ऐतिहासिक शख्सियत थे -जलाल उमर 

सर सैय्यद ने मुसलमानो को रूढ़िवादिता अंधविश्वास से निकालने का भरसक प्रयास किय-डॉ कुदसिया अंजुम

रिपोर्ट अमान उल्ला खान

सहारनपुर-परचम संस्था के द्वारा सर सैयद के जन्म दिवस पर एक गोष्ठी का आयोजन नसीम बेसिक स्कूल मेंहदी सराय में किया गया जिसमें मुख्य अतिथि पूर्व प्रधानाचार्य इस्लामिया इंटर कॉलेज जलाल उमर रहे

कार्यक्रम में बोलते हुए जलाल उमर ने कहा कि  सर सैय्यद आधुनिक शिक्षा के संस्थापक और एक ऐतिहासिक शख्सियत थे और दुनिया में होने वाले खुश गवार परिवर्तनों को उन्होंने कबूल किया और जो मुस्लिम समाज में जड़ बंदी थी उसको दूर किया सर सैयद खुश नसीब थे के तालीमी मिशन को आगे बढ़ाने के लिए इन्हें अच्छे साथी मिले  सर सैयद ने सेकुलरिज्म की बात उस वक्त की जब लोग इससे अनभिज्ञ थे। विशिष्ट अतिथि सिविल डिफेंस से मौo आलम ने कहा कि मुसलमानों में शिक्षा बेरोजगारी और अंधकार दूर करने के लिए सर सैयद ने एक अभियान शुरू किया आधुनिक शिक्षा का अभियान। यह दिन एक महान व्यक्ति , उसके विज़न उसके लगन और उसकी कुरबानियो और खिदमत को समझने का दिन है।  नसीम बेसिक स्कूल मैनेजर वसीम ने कहा कि  भारत में सुधारवादी आंदोलन का एक हिस्सा सर सैयद आंदोलन या अलीगढ़ आंदोलन है ।  सीमा जहूर ने कहा की लंदन जाकर सर सैयद ने वहां की तहजीब और तालीम का जायज़ा लेकर यहां भारत में एक विश्वविद्यालय की स्थापना की।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कॉलमनिस्ट डॉक्टर शाहिद ज़ुबैरी ने कहा कि  एक महान व्यक्तित्व की पहचान यह है कि वह ऐसी  धरोहर छोड़ता है जो वक्त के साथ खत्म नहीं होती बल्कि   इस पर भविष्य की बुनियाद तामीर होती हैं सर सैयद ने यही विजन समाज को दिया। डॉक्टर अनीस ने कहा कि यूनिवर्सिटी में सभी धर्मों के छात्र छात्राएं आरंभ से ही पढ़ते आ रहे हैं।
कार्यक्रम कन्वीनर  डॉक्टर कुदसिया अंजुम ने कहा कि सर सैय्यद ने मुसलमानो को रूढ़िवादिता अंधविश्वास से निकालने का भरसक प्रयास किया और मुश्किल हालात में साइंटिफिक सोसायटी की स्थापना की और जड़ समाज में साइंटिफिक सोच पैदा की और आधुनिक शिक्षा की तरफ न सिर्फ जागरूक किया बल्कि आधुनिक शिक्षा के लिए मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ जैसी  संस्था की बुनियाद रखी लड़कियों की तालीम के लिए भी माहौल बनना शुरू हुआ संचालन करते हुए स्कूल मैनेजर वसीम  ने सर सैयद के जीवन का  मूल्यांकन करते हुए कहा के 1857 के नतीजे में मुसलमान में पैदा होने वाली जड़ता और बेहिसी से बाहर निकालने के लिए सर सैय्यद ने संघर्ष किया और शिक्षा के हथियार से मुसलमान को आगे बढ़ने का हौसला दिया इस अवसर पर प्रधान चर्या जेबा रानी,ख लीक अहमद , रफत फरजाना शाहनवाज,खालिद सिद्दीकी ,युसरा फरजाना स्कूल स्टाफ व बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

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