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पिता-पुत्र के काव्य संकलन का एक मंच पर हुआ विमोचन

 पिता-पुत्र के काव्य संकलन का एक मंच पर हुआ विमोचन

प्रख्यात शायर डा. नवाज देवबंदी बोले, यह है उर्दू अदब के लिए यादगार पल

रिपोर्ट समीर चौधरी

देवबंद- शेखुल हिंद हॉल में समारोह का आयोजन कर शायर पिता-पुत्र शमीम किरतपुरी और डा. काशिफ के मजमुआ कलाम ‘ताबीरें’ और ‘गज़ल के लहजे’ का विमोचन किया गया। प्रख्यात शायर डा. नवाज देवबंदी इस अवसर को उर्दू अदब के लिए यादगार पल बताया।

विमोचन समारोह में बोलते हुए शायर एवं शिक्षाविद् डा. नवाज देवबंदी ने कहा कि एक ही मंच पर पिता-पुत्र के काव्य संकलन का विमोचन होना उर्दू अदब के लिए यादगार पल है। उन्होंने मुबारकबाद देते हुए कहा कि शमीम किरतपुरी और उनके बेटे डा. काशिफ दो पीढिय़ों का एक साथ नेतृत्व कर रहे हैं, यह बेहद खुशी की बात है। उन्हें आशा है कि दोनों काव्य संकलन उर्दू साहित्य के इतिहास में मील का पत्थर साबित होंगे। प्रसिद्ध लेखिका डॉ. रकशंदा रूही देहलवी ने कहा कि शायर शमीम किरतपुरी का शुमार देवबंद के उस्ताद शायरों में होता है और उनके बेटे डा. काशिफ कम उम्र में ही दिल को छू लेने वाली नजमें लिखकर विरासत में मिले अदब का नमूना पेश कर रहे हैं। जामिया इमाम मोहम्मद अनवर शाह के उस्ताद मौलाना फुजैल नासरी, मुस्लिम फंड के प्रबंधक सुहैल सिद्दीकी आदि ने भी अपने विचार रखे और शायर पिता-पुत्र को मुबारकबाद पेश की। संचालन लेखक सय्यद वजाहत शाह ने किया। शायर उजैर अनवर, अब्दुल हक सहर, जुहैर अहमद, नाहिद समर, अब्दुल्ला राही, अब्दुल्लाह राज, मास्टर जावेद, जाहिद नईम, राहत खलील, शारिक जमाल, राहत इकबाल, हकीम नजीफ, वली वकास आदि मौजूद रहे।

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