कवियों ने कविताओं के साथ मनाया बसंत पंचमी व गणतंत्र पर्व
सहारनपुर। सहारनपुर के कवियों ने स्वरचित सरस्वती वंदनाओं का पाठ कर बसंत पंचमी का पावन पर्व उल्लास के साथ मनाया। गणतंत्र पर्व पर भी कवियों की कलम खूब चली। दिल्ली रोड पर इंद्रलोक स्थित डाॅ.पंकज सैनी के निवास पर साहित्यिक संस्था ‘विभावरी’ के तत्वाधान में आयोजित काव्य संध्या की अध्यक्षता निगम के पशु चिकित्सा कल्याण अधिकारी, कवि डाॅ.संदीप मिश्रा ने और संचालन डाॅ.विजेन्द्रपाल शर्मा ने किया। डाॅ.संदीप व संस्था अध्यक्ष बालेश्वर जैन ने मां शारदा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर काव्य संध्या का शुभारंभ किया।
कवि आर पी सारस्वत द्वारा बृजभाषा में की गयी सरस्वती वंदना को मुक्त कंठ से सराहा गया। बानगी देखिए-‘‘ मइया मो पै किरपा कर दो, मैं ओइ्म लिखि-पढ़ी जाऊँगो/रचि लुँगो दो-चारि गीत तौ, जग में नाम कमाऊँगो।’’ डाॅ.वीरेन्द्र आज़म ने मां सरस्वती की वंदना कुछ इस तरह की- ‘‘वरदान दो-वरदान दो, मां मुझको भी वरदान दो/स्वर कोकिल बन सकंू मां, ऐसा कोई सुर गान दो।’’ नरेन्द्र मस्ताना ने बसंत का स्वागत कुछ इस तरह किया-‘‘आया बसंत आया बंसत, भू का कण-कण मुस्काया है/दहका पलाश चटकी कलियां, मन का पंछी हर्षाया है।’’ वरिष्ठ कवि सुरेश सपन का यह अंदाज भी खूब सराहा गया-‘‘ पतझर में ही रिश्तों की पहचान हुई/सावन में तो हर कोई हरियाला था।गणतंत्र पर्व पर तिरंगे की शान में पी एन मधुकर ने पढ़ा-‘‘ तिरंगे की जय हो, जय हो तिरंगे की/तिरंगा भारत की शान है, वीरो की जान है।’’ हरिराम पथिक का नजरिया देखिए-‘‘विश्व पटल पर सज रहा, अपना हिन्दुस्तान/हम अनेक में एक हैं, यही अमिट पहचान। अध्यक्षता कर रहे डाॅ.संदीप मिश्रा का ये अंदाज भी सराहा गया-‘‘निज भाषा में मैं गीत लिखूं, निज बोली में मैं गाता हूं/ऐ दुनिया वालों सुन लो सब, मैं खुद का भाग्य विधाता हूं।’’ डाॅ. मोनिका शर्मा की इन पंक्तियों ने तालियां बटोरी-‘‘धड़कता अगर तुममें हिन्दुस्तान नहीं/तुममें जिन्दा होने का कोई प्रमाण नहीं।विभावरी सचिव डाॅ.विजेन्द्र पाल शर्मा ने यह गीत पढ़कर वाहवाही लूटी-‘‘सरस से गीत हैं कोई हमें कब गुनगुनाता है/हैं मंदिर प्यार के-सच के, इधर अब कौन आता है।’’ डाॅ.कमाल सहारनपुरी के गीत और ग़ज़लों ने भी खूब वाहवाही बटोरी-‘‘किसी की आंख से आंसू टपकता छोड़ आया हूं/किसी को याद में अपनी तड़फता छोड़ आया हूं।’’ नीरज सैनी ने पढ़ा-‘‘ मेरी नाकामी तो देखी,कोशिश को भी देखा जाए/वक्त तुमसे पूछना है, क्यों तुमने अवरोध लगाए।’’बालेश्वर जैन ने भी काव्य पाठ किया। गोष्ठी में डाॅ.पंकज सैनी, धीरज सैनी, दीप्ति सैनी, रमा सैनी, रिषभ सिंह, विनीत जैन, वीणा सारस्वत, तनुश्री आदि रहे।
रिपोर्ट -अमान उल्ला खान
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